इस बार सुर्खियों में आने की वजह उनकों खतौली विधानसभा सीट से उपचुनाव में प्रत्याशी बनाना है। बाहुबली मदन भैया रालोद के टिकट पर गठबंधन के उम्मीदवार बनाए गए हैं। मदन भैया का 90 के दशक में पश्चिमी उप्र की अपराधिक दुनिया में बोलबाला था। मदन भैया के नाम गाजियाबाद और मेरठ सहित पश्चिमी उप्र में लूट, हत्या और अपहरण के दर्जनों मुकदमे दर्ज थे। उप्र में कल्याण सिंह की सरकार बनी तो बाहुबली मदन भैया ने पुलिस से बचने के लिए राजनैतिक चोला ओढ़ लिया। मदन भैया को सपा के मुलायम सिंह का संरक्षण मिला और पहली बार मदन भैया ने खेकड़ा से विधायकी का चुनाव लड़ा।
खतौली उपचुनाव में मदन भैया होंगे गठबंधन से प्रत्याशी, रालोद ने की घोषणा
ये चुनाव मदन भैया ने 1991 में जेल में रहते हुए लड़ा था। जिसमें मदन भैया को जीत हासिल हुई थी। इसके बाद वो लगातार 2012 तक खेकड़ा लोनी के विधायक रहे। 2012 के विधानसभा चुनाव में बाहुबली मदन भैया चुनाव हारे। इस चुनाव के हार जाने के बाद से मदन भैया का राजनैतिक करियर भी नीचे गिरता चला गया। मदन भैया 2017 में भाजपा के नंद किशोर गुर्जर से चुनाव हार गए। उसके बाद 2022 में मदन भैया ने रालोद के टिकट पर लोनी से विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन एक बार फिर भाजपा के नंद किशोर गुर्जर ने उनको हरा दिया।Khatauli assembly by-election: कवाल कांड में मारे गए गौरव की मां लड़ेगी खतौली उपचुनाव, भाजपा पर लगाए गंभीर आरोप
90 के दशक में जब पश्चिमी उप्र में अपहरण उद्योग फलफूल रहा था उस दौरान मदन भैया का नाम सुर्खियों में आता था। जुलाई 1999 में स्वतंत्र रस्तोगी अपहरण कांड में भी मदन भैया का नाम आया था। जिसमें मदन भैया पर तीन करोड़ रुपये फिरौती लेने का आरोप लगा था। मदन भैया आज भी बुलेटप्रूफ टोयोटा फॉर्च्यूनर में चलते हैं। उनके काफिले में हमेशा सुरक्षा गार्ड मौजूद रहते हैं।