बर्फ और गन्ने की तासीर होती है अलग-अलग
अक्सर गन्ने वाले गर्मियों में गन्ने के रस में बर्फ की मिलावट कर देते हैं। लेकिन आपको यह पता होना चाहिए कि गन्ने का रस और बर्फ दोनों की तासीर अलग है। ये आपको गंभीर बीमारी भी दे सकता है। यदि आप जरा-सी सावधानी बरतेंगे तो बीमारी से बच सकते हैं। गन्ने का रस पीने से पहले एक बार देखिए कि वह बनता कैसे है।
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फंफूदी लगा गन्ना का रस पीने से हो सकता है पीलिया
गन्ना विभाग के गन्ना वैज्ञानिक डॉ. सृष्टिराज के अनुसार गन्ने की सफाई नहीं की जाती। गन्ने पर काली फफूंद लगी होती है। यह फफूंद अगर साफ न की जाए और इसे लगे हुए ही रस निकाल दिया जाए तो पीलिया हो सकता है। या जिस गन्ने का जूस आप पी रहे हों, उस पर मिट्टी न हटाई गई हो। या नींबू धब्बेदार हो। उसके बीज भी नहीं निकाले जाते। पुदीना धोया नहीं जाता है। ऐसे में इससे भी कई बीमारिया हो सकती है।
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जो हाथ रस निकाल रहे हैं उन्हें चेक करिए
वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. शीतल वर्मा ने बताया कि गन्ने का रस पीने से पहले इस बात पर ध्यान दें कि क्या आपने कभी यह चेक किया कि जिन हाथों से ऐसा किया जा रहा है वह साफ हैं या नहीं। उन्हीं हाथों से गन्ना पकड़ा जाता है,जनरेटर चलाया जाता है। मशीन को घुमाया जाता है। हाथ कभी धोए नहीं जाते। बस यहीं से बीमारी के सारे लक्षण शुरू हो जाते हैं। डॉ. शीतल वर्मा के मुताबिक गन्ने पर जो फफूंद होती है, उससे हेपेटाइटिस-ए, डायरिया और पेट की बीमारियां होती हैं। इसी प्रकार गन्ने को अगर ठीक तरीके से धोया न जाए तो उससे भी पेट संबंधी बीमारियां होती हैं। डॉ.शीतल का कहना है कि गन्ने में अगर लालिमा है तो इसके रस मत पीजिए। इस फफूंद को रेड रॉट डिजीज कहा जाता है। यह एक तरह का फंगस है, जो गन्ने के रस को लाल कर देता है। इससे जूस की मिठास भी कम हो जाती है और यह शरीर में जाकर तरह-तरह की बीमारी कर देता है। खासकर रस पीने के थोड़ी देर बाद उल्टी शुरू हो जाती है। ऐसा रस पीने से पीलिया, हेपेटाइटिस, टायफायड, डायरिया जैसी बीमारियां हो सकती हैं।