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मेरठ

Viral Fever In UP: जापानी इंसेफेलाइटिस की जांच के लिए अब दिल्ली या लखनऊ जाने की जरूरत नहीं

Viral Fever In UP: मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि जल्द ही एक्यूट इंसेफेलाइटिस, स्क्रब टाइफस, लेप्टोस्पाइरा व डेंगू की सभी प्रकार की जांचें सप्ताहभर में उपलब्ध होंगी।

मेरठSep 08, 2021 / 12:19 pm

Nitish Pandey

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Viral Fever In UP: जापानी इंसेफेलाइटिस की जांच के लिए अब दिल्ली या लखनऊ सैंपल भेजने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अब मेरठ के मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलाजी लैब में ही जापानी इंसेफ्लाइटिस की जांच हो सकेगी। इसके अलावा और भी कई महत्वपूर्ण जाचें मेडिकल की लैंब में होंगी। इन महत्वपूर्ण जांचों में लाइप्टोस्पायरा, स्क्रबटाइफस के अलावा डेंगू की एनएस-1 जांच भी शामिल हैं।
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जांच और रिपोर्ट के लिए अब नहीं करना पड़ेगा इंतजार

मरीजों को अब जांच के लिए अधिक दिनों तक इंतजार नहीं करना होगा और मेडिकल की लैब में जांच के बाद जल्द से जल्द मरीज का इलाज भी शुरू हो सकेगा। इससे बीमारी को काबू करने में जहां मदद मिलेगी। वहीं मरीज को समय से दवाई मिलने पर उसकी जान भी बचाई जा सकेगी। अब तक इन जांचों के लिए मरीजों का सैंपल दिल्ली और लखनऊ भेजना पड़ता था। इससे न सिर्फ मेरठ ही नहीं बल्कि पश्चिमी यूपी के मेरठ, मुरादाबाद, सहारनपुर मंडल के करीब-करीब 15 जिलों के लोगों को भी सुविधा मिल सकेगी।
जल्द शुरू होंगी सभी जांचें- प्राचार्य

इन बीमारी की जांच के लिए माइक्रोबायोलाजी लैब को जल्द ही जांच किट उपलब्ध कराई जाएगी। संक्रामक बीमारियों की रोकथाम एवं इलाज को लेकर आयोजित वर्कशाप में मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि जल्द ही एक्यूट इंसेफेलाइटिस, स्क्रब टाइफस, लेप्टोस्पाइरा व डेंगू की सभी प्रकार की जांचें सप्ताहभर में उपलब्ध होंगी।
कैसे फैलती हैं ये बीमारियां

जापानी इंसेफेलाइटिस: संक्रमित मच्छरों के काटने से होता है, जिसमें दिमाग में सूजन आने से मरीज की मौत तक हो जाती है।

स्क्रब टाइफस: एक सूक्ष्म घुन के काटने से लोगों में पहुंचती है। चूहों एवं गिलहरियों के संपर्क से बीमारी आगे बढ़ती है। तेज बुखार, निमोनिया, स्किन पर काली पपड़ी, दिमागी सूजन, किडनी व अन्य अंग खराब होने से जान जा सकती है।
लेप्टोस्पाइरा: इसे रैट फिवर भी कहा जाता है। यह एक बैक्टीरियल संक्रमण है, जो गीले मैदान में पनपते हैं। चूहों एवं जानवरों के मूत्र के माध्यम से फैलता है। बाढ़ एवं दूषित मिट्टी के संपर्क में आने से भी खतरा है। ठंड के साथ बुखार, तेज सिरदर्द, लाल आंखें, दस्त व पीलिया इसके लक्षण हैं।
क्या कहते हैं डॉक्टर

बाल रोग विभाग के एसिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर अनुपमा वर्मा ने बताया कि प्रदेश के कई जिलों में इंसेफेलाइटिस -स्क्रब टाइफस के मरीज मिल रहे हैं। घर के आसपास गीली जमीन न बनने दें। झाड़ियां साफ रखें। बुखार के साथ गफलत हो तो डॉक्टर से संपर्क करें। जल्द ही इन बीमारियों की जांच मेडिकल की लैब में हो सकेगी।

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