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मेरठ

रसोई से दूरी बनाने लगी चीनी और सेहत बनाने वाली दालें, बढ़ती महंगाई ने बिगाड़ा बजट

थोक विक्रेता मामा किराना स्टोर के संजीव का कहना है कि सरसों तेल के महंगाई के पीछे सरसों का महंगा होना है।

मेरठSep 20, 2021 / 02:51 pm

Nitish Pandey

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आठ साल के उच्च स्तर पर पहुंच चुकी महंगाई लोगों का बजट बिगाड़ रही है और इस महंगाई में खाद्य महंगाई का है सबसे अधिक हिस्सा।

मेरठ. पहले तो पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों ने आग लगाई हुई थी। लेकिन अब इनका असर चीनी, खाद्य तेलों और दालों पर भी पड़ने लगा है। बढ़ते भाव ने आम आदमी की रसोई का बजट बुरी तरह से बिगाड़ कर रख दिया है। पिछले एक महीने में ही खाद्य तेलों के दाम में 10 से 12 रुपये तक की बढ़ोत्तरी हुई। दालों की कीमत में 10 प्रतिशत का उछाल आया है।
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एक माह के अंदर हुई है बढ़ोत्तरी

ऐसा नहीं है कि सिर्फ खाद्य तेल, दाल ही नहीं, चीनी व आटा आदि के दामों में तेजी आ गई है। सरसों का तेल अब 210 रुपये प्रतिकिलो हो गया है। तीस रुपये की बढ़ोत्तरी एक माह के अंदर हुई है। चीनी के दाम में भी 5-10 रुपये प्रतिकिलो की बढोत्तरी हुई है। दालों के दाम में भी 5 से 10 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। इसका असर सीधा आम आदमी की जेब पर पड़ रहा है।
किराना व्यापारी युगल गुप्ता ने बताया कि खाद्य सामग्रियों के दामों में काफी बढ़ोत्तरी हो गयी है। थोक में दाम बढ़ने से दाल, चीनी, सरसों तेल व रिफाइंड के दाम बढ़ने लगे हैं। डीजल व पेट्रोल का दाम बढ़ने से ढुलाई का किराया भी अधिक बढा है।
खाद्य सामाग्रियों के बढ़ते रेट

खाद्य सामाग्री, अगस्त, सितंबर

अरहर दाल, 95 रुपये प्रतिकिग्रा, 105 रुपये प्रतिकिग्रा

चना दाल, 75 रुपये प्रतिकिग्रा, 85 रुपये प्रतिकिग्रा

मसूर दाल, 80 रुपये प्रतिकिग्रा, 95 रुपये प्रतिकिग्रा
रिफाइन तेल, 150 प्रति लीटर, 165 प्रति लीटर

सरसों तेल, 170 प्रति लीटर, 210 प्रति लीटर

चीनी, 35 रुपये प्रतिकिग्रा, 42 रुपये प्रतिकिग्रा

मूंगदाल, 80 रुपये प्रतिकिग्रा, 90 रुपये प्रतिकिग्रा

बढ़ने लगे आटा के भी दाम
आटा के दाम में भी बढ़ोत्तरी हुई है। अगस्त माह में आटा 20 रुपये प्रतिकिग्रा बिक रहा था। सितंबर माह में गेहूं की कीमत बढ़ाने से चार रुपये महंगा हो गया। अब आटा 24 रुपये प्रति किग्रा मिल रहा है।
थोक विक्रेता मामा किराना स्टोर के संजीव का कहना है कि सरसों तेल के महंगाई के पीछे सरसों का महंगा होना है। डीजल-पेट्रोल का दाम बढ़ने से ढुलाई वाहनों का भी खर्च बढ़ गया है। उसे ऊपर टैक्स अलग से लग रहा है। इसके चलते कीमतों में उछाल आ रहा है।

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