इस टैंक ने ही पाकिस्तान के सात लड़ाकू विमानों को मार गिराया था, जो भारतीय सीमा के भीतर घुसकर तबाही मचाने का प्रयास कर रहे थे। मेरठ कालेज का रक्षा अध्ययन विभाग इस प्रयास में था कि उसके वार रूम म्यूजियम में यह टैंक भी हो। कालेज अपने इस प्रयास में सफल हो गया। इसको लाने का प्रस्ताव रक्षा विभाग के प्रोफेसर एसएच पांडे ने सेना के सामने रखा कि मेरठ के इस विभाग से कई बडे आर्मी अधिकारी पीएचडी कर चुके हैं। अभी और बड़े अधिकारी रिसर्च कर रहे हैं। इस कारण यह मेरठ कालेज में जरूरी है।
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हार्इटेंशन लाइन की चपेट में आने से दो किसानों की मौत सैन्य अफसर कर रहे हैं विजयंत टैंक पर रिसर्च मेरठ अध्ययन विभाग से कई बडे आर्मी के अधिकारी रिसर्च कर चुके हैं। आर्मी चीफ विपिन रावत भी इस समय मेरठ कालेज के इस विभाग से पीएचडी कर रहे हैं। मास्टर जनरल आफ आर्डिनेंस के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल राजेंद्र रामा राव मेरठ कालेज से विजयंत टैंक पर रिसर्च कर रहे हैं। डा. पांडे ने लेफ्टिनेंट जनरल राजेंद्र से अनुरोध किया कि वे विजयंत टैंक को मेरठ कालेज के वार म्यूजियम के लिए दिलवाने में मदद करें। रक्षा अध्ययन विभाग ने इसके लिए औपचारिकताएं भी पूरी कर दी थी। रक्षा अध्ययन विभाग के डा. संजीव के अनुसार विजयंत टैंक मेरठ कालेज परिसर में आ गया है। इसके अतिरिक्त अन्य शस्त्र भी लाए जाएंगे। जिसके बारे में छात्रों को पढाया जाएगा। यह टैंक स्थायी तौर पर मेरठ कालेज की शान बढ़ाएगा।
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हे राम! सौ करोड़ के कर्जदार की सम्पत्ति की नीलामी में भी हो गया घोटाला देश के इतिहास में पहली बार किसी कालेज को मिला टैंक देश के किसी भी कालेज या विवि को विजयंत टैंक धरोहर के लिए नहीं मिला। कुछ वर्षों पूर्व दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विवि ने अपने परिसर में इस टैंक को रखने की इच्छा जताई थी, लेकिन सेना ने मना कर दिया था। पुणे विवि को एक टैंक जरूर मिला, लेकिन वह बहुत पुराना है।
50 किमी की स्पीड और 500 किमी तक मारक क्षमता विजयंत टैंक की स्पीड 50 किमी प्रति घंटा है और इसकी मारक क्षमता 500 किमी तक है। अब ये टैंक
भारतीय सेना के इस्तेमाल में नहीं हो रहे, लेकिन टैंक अपने स्वर्णिम इतिहास की याद दिलाने के लिए देश के विभिन्न सेन्य छावनियों में रखा जाता है।