जिस समय जेवर खरीदा जाता है उस समय तो हर ज्वैलर्स खरीदार को खरा सोने का बताकर बेचता है। लेकिन जब ग्राहक उस जेवर को दोबारा बेचने या फिर उसको तुड़वाकर और कुछ बनवाने के लिए किसी सर्राफ के पास जाता है तो उसको अपने खरीदे सोने की असलियत पता चलती है। इसलिए धरतेरस पर निम्न बातों का ध्यान रखने मात्र से आप धोखाधड़ी से बच सकते हैं। सोने के गहने खरीदते वक्त इन बातों का ध्यान रखना चाहिए
धनतेरस वाले दिन सोने का भाव जरूर पता करके रखे अगर सोना का सिक्का या गहने खरीदने जा रहे हैं तो सबसे पहले अपने शहर के सर्राफ बजार में धनतेरस वाले दिन सोने का भाव पता करके रखें। बता दे कि हर शहर में सोने के दाम अलग-अलग होते हैं।
24 कैरेट का नहीं बनता कोई गहना सोने की शुद्धता मापने का सबसे अहम पैमाना कैरेट होता है। कैरेट जितना ज्यादा होगा सोना उतना ही खरा होगा। ज्यादा कैरेट मतलब ज्यादा दाम। इसी तरह से कैरेट जितना कम होगा, सोना उतना ही सस्ता होगा। कई बार ज्वेलर्स सोने के गहने खरीदते वक्त ग्राहकों से 24 कैरेट के भाव वसूलते हैं। ध्यान रखें कि सोने की कोई भी ज्वेलरी 24 कैरेट में नहीं बन सकती है क्योंकि 24 कैरेट सोना काफी ठोस धातु के रूप में होता है इसलिए बिना पिघलाएं इससे गहने बनाना बहुत ही मुश्किल है।
हॉलमार्क ज्वेलरी ही खरीदें हॉलमार्किंग का निर्धारण ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) करती है। यह संस्था उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराए जा रहे गुणवत्ता के स्तर की जांच करती है। यदि सोने के गहनों पर हॉलमार्क है तो इसका मतलब है कि उसकी शुद्धता प्रमाणित है। लेकिन कई ज्वैलर्स बिना जांच प्रकिया पूरी किए ही हॉलमार्क लगाते हैं। ऐसे में यह देखना जरूरी है कि हॉलमार्क असली है या नहीं?
असली हॉलमार्क पर भारतीय मानक ब्यूरो का तिकोना निशान होता है। उस पर हॉलमार्किंग सेंटर के लोगो के साथ सोने की शुद्धता भी लिखी होती है। उसी में ज्वैलरी निर्माण का वर्ष और उत्पादक का लोगो भी होता है। गहने खरीदते वक्त आपको शुद्धता सर्टिफिकेट लेना न नहीं भूलना चाहिए। इस सर्टिफिकेट में गोल्ड के कैरेट जरूर चेक कर लें। साथ ही गोल्ड ज्वैलरी में लगे नगीने (स्टोन) के लिए भी एक अलग सर्टिफिकेट जरूर लें। इससे आपके ठगे जाने की गुंजाइश कम हो जाएगी। कई बार जल्दबाजी में सोना खरीदते वक्त ग्राहक इन बातों पर ध्यान नहीं देते हैं। जिससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है।