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सर्राफ बाजार में काम करने वाले कारीगर नरेश का कहना है कि उन्हें सर्राफा बाजार में गहने का काम करते हुए करीब 50 साल हो गए, लेकिन इतनी मंदी पहले कभी दिखाई नहीं दी। जितनी वर्तमान में दिखाई दे रही है। उन्होंने बताया कि यहां के सोने का भाव डॉलर के घटते-बढ़ते रेट पर प्रभावित होता है। डॉलर के रेट कम होंगे तो सोने के भाव भी कम होंगे । फिलहाल, डॉलर के रेट बढेंगे तो सोने के भाव भी बढ़ेंगे। बाजार में शनिवार को व्यापारी काफी परेशान दिखे। आने वाले समय में अगर यहीं हाल रहा तो बाजार ही खत्म हो जाएगा। उन्होंने बताया कि इस वक्त बाजार में मात्र 25 फीसदी ग्राहक है। बाजार में सोने के भाव बढ़ने के कारण कस्टमर नहीं है।
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वहीं, एक अन्य सर्राफ व्यावसायी आशुतोष अग्रवाल ने बताया कि सोने पर जो कस्टम डयूटी साढ़े बारह प्रतिशत लगाई गई है। उसने सोना व्यापारियों की कमर तोड़ दी है। उन्होंने कहा कि इस समय स्थिति यह है कि न तो कारीगरों के पास काम है और न ही दुकानदारों के पास काम है। उन्होंने कहा कि भाव के साथ ही इसके अन्य कारण भी है। इनमें कस्टम डयूटी प्रमुख है। इस समय बाजार से मध्यमवर्गीय ग्राहक पूरी तरह से गायब है। दूसरी इस समय आर्थिक मंदी के कारण भी बाजार से ग्राहक दूरी बनाए हुए हैं। आम आदमी के पास पैसा भी नहीं है।
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उन्होंने बताया कि सोना खरीदना आदमी की प्राथमिकता में शामिल नहीं होता। जब आदमी की अपनी आम जरूरते पूरी जो जाती है, तब वह सोने के बाजार की ओर रुख करता है। आज अपनी आम जरूरते पूरी करने में ही आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि हमने सरकार से मांग की थी कि इम्पोर्ट डयूटी को साढ़ें बारह प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत किया जाए। लेकिन सरकार ने मांग को नजरअंदाज कर दिया।