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उनका कहना था कि बेटा देश के ऊपर शहीद हुआ, इसका कोई दुख नहीं है। दुख इस बात का है कि जिस देश के ऊपर शहीद हुआ, उसकी सरकार शहीदों का अपमान कर रही है। शहीदों के परिजनों की उपेक्षा की जाती है। जब कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं तो उनको बुला लिया जाता है, जबकि सालों-साल कोई आकर पूछता तक नहीं है। उन्होंने कहा सुविधा के लिए चक्कर काट-काटकर चप्पले घिस गई, लेकिन कुछ नहीं हासिल हुआ। बेटे का मैडल ही एकमात्र सहारा है, जिसको उन्होंन सीने से लगा रखा है।
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एक अन्य शहीद की मां ने कहा कि सरकार शहीदों को सिर्फ एक दिन ही याद करती है, फिर भूल जाती है। आज भी उनके बेटे की याद आते ही पुरानी यादें ताजा हो आती हैं। हम अपने को सिर्फ यही दिलासा देते हैं कि हम एक शहीद के परिवार से हैं, जबकि सुविधा के नाम पर कुछ भी आजतक नहीं मिला।