scriptVIDEO: पुलिस अफसरों ने याद किया इस कोतवाल को, 1857 की क्रांति में निभायी थी अहम भूमिका | Dhan Singh Kotwal posted in Sadar Bazar police station 1857 revolt | Patrika News
मेरठ

VIDEO: पुलिस अफसरों ने याद किया इस कोतवाल को, 1857 की क्रांति में निभायी थी अहम भूमिका

Highlights

मेरठ के थाना सदर बाजार में तैनात थे धन सिंह कोतवाल
10 मई 1857 में क्रांतिकारी भीड़ का नेतृत्व किया था
मेरठ जेल तोड़कर 836 भारतीय कैदियों को रिहा कराया

 

मेरठNov 27, 2019 / 05:32 pm

sanjay sharma

meerut
मेरठ। 1857 की क्रान्ति की शुरूआत 10 मई 1857 को मेरठ में हुई थी और इसको 10 मई को प्रत्येक वर्ष क्रान्ति दिवस के रूप में मनाते हैं, क्रान्ति की शुरूआत करने का श्रेय अमर शहीद कोतवाल धनसिंह गुर्जर को जाता है। यह बातें बुधवार को एसपी सिटी डा. एएन सिंह ने थाना सदर बाजार में धन सिंह कोतवाल के जन्म दिवस पर कहीं। इस मौके पर धनसिंह कोतवाली की प्रतिमा और पूरे थाना परिसर को सजाया गया था। धन सिंह कोतवाल की मूर्ति के चारों ओर साफ-सफाई कर फूलों से सजावट की गई थी।
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एसपी सिटी ने सुबह दस बजे थाने पहुंचकर कोतवाली की प्रतिमा पर माल्यार्पण और फूल आदि चढ़ाए। इसके बाद उन्होंने थाना परिसर में उपस्थित पुलिसकर्मियों को संबोधित करते हुए कहा कि 10 मई 1857 को मेरठ में विद्रोही सैनिकों और पुलिस फोर्स ने अंग्रेजों के विरूद्ध साझा मोर्चा गठित कर क्रान्तिकारी घटनाओं को अंजाम दिया। सैनिकों के विद्रोह की खबर फैलते ही मेरठ की शहरी जनता और आसपास के गांव विशेषकर पांचली, घाट, नंगला, गगोल इत्यादि के हजारों ग्रामीण मेरठ की सदर कोतवाली क्षेत्र में जमा हो गए।
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इसी कोतवाली में धन सिंह कोतवाल के पद पर कार्यरत थे। मेरठ की पुलिस बागी हो चुकी थी। धन सिंह कोतवाल क्रान्तिकारी भीड़ में प्राकृतिक नेता के रूप में उभरे। उनका आकर्षक व्यक्तित्व, उनका स्थानीय होना, पुलिस में उच्च पद पर होना और स्थानीय क्रान्तिकारियों का उनको विश्वास प्राप्त होना कुछ ऐसे कारक थे जिन्होंने धन सिंह को 10 मई 1857 के दिन मेरठ की क्रान्तिकारी जनता के नेता के रूप में उभरने में मदद की। उन्होंने क्रान्तिकारी भीड़ का नेतृत्व किया और रात दो बजे मेरठ जेल पर हमला कर दिया। जेल तोड़कर 836 कैदियों को छुड़ा लिया और जेल में आग लगा दी। जेल से छुड़ाए कैदी भी क्रान्ति में शामिल हो गए। उससे पहले पुलिस फोर्स के नेतृत्व में क्रान्तिकारी भीड़ ने पूरे सदर बाजार और कैंट क्षेत्र में क्रान्तिकारी घटनाओं को अंजाम दिया। रात में ही विद्रोही सैनिक दिल्ली कूच कर गए और विद्रोह मेरठ के देहात में फैल गया।

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