मेरठ में भी चार आशा कार्यकत्रियों में डेल्टा प्लस वायरस के मिलने पर उसके सेंपल जांच के लिए पुणे भेज दिए गए थे हांलाकि अभी तक स्वास्थ्य विभाग ने पूरी तरह से इसकी पुष्टि नहीं की है लेकिन आशंका जताई जा रही है कि आशा कार्यकत्रियों में मिला वायरस डेल्टा प्लस हो सकता है। इसी के तहत अब सभी कोरोना संक्रमित मरीजों के सेंपल जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेजे जाएंगे ताकि जिससे मरीजों में डेल्टा वैरिएंट पकड़ा जा सके। सीएमओ डॉक्टर अखिलेश मोहन ने बताया कि शासन ने जीनोम सिक्वेंसिंग पर अब अधिक फोकस किया है। उन्होंने बताया कि पहले 30 सैंपलों की जीनोम जांच का लक्ष्य हर माह रखा गया था। लेकिन डेल्टा प्लस के संक्रमण के खतरे को देखते हुए सभी सैंपलों की जांच की जाएगी।
प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश में
केजीएमयू लखनऊ और बीएचयू वाराणसी में
जीनोम सिक्वेंसिंग लैब बना दी हैं. इन लैब में सोमवार से जांच शुरू कर दी जाएगी। मंडलीय सर्विलांस अधिकारी डॉक्टर अशोक तालियान ने बताया कि मेडिकल कालेज ने अब तक 200 से ज्यादा सैंपलों को जांच के लिए एनआइवी पुणे और एनसीडीसी नई दिल्ली भेजा है। बता दे कि पिछले साल दिसंबर में मेरठ में कोरोना के
ब्रिट्रेन का स्ट्रेन सबसे अधिक मिला था। अब बस अड्डों, रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट से आने वालों के अलावा बाजारों एवं खास स्थानों पर लोगों की रैंडम सैंपलिंग की जाएगी।
मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलोजिस्ट डॉक्टर अमित गर्ग ने बताया कि संक्रमण की दर बेहद कम रह गई है। रोजाना आठ-दस केस ही मिल रहे हैं, ऐसे में सभी का सैंपल जीनोम जांच के लिए भेजने की तैयारी है। शुक्रवार को 13 मरीज डिस्चार्ज कर दिए गए हैं। सीएमओ डा. अखिलेश मोहन ने बताया कि जांच का दायरा बढ़ाया जा रहा है।