scriptमानसून की देरी से वेस्टयूपी में खरीफ की बुवाई पर मंडराया संकट, कृषि वैज्ञानिकों ने जताई चिंता | Crisis on Kharif sowing in West UP due to delay in monsoon | Patrika News
मेरठ

मानसून की देरी से वेस्टयूपी में खरीफ की बुवाई पर मंडराया संकट, कृषि वैज्ञानिकों ने जताई चिंता

पश्चिमी उप्र में मानसून लगातार पिछड़ता जा रहा है। पहले मानसून के 25 जून तक पहुंचने की उम्मीद थी। उसके बाद ये तारीख 28—29 जून हुई लेकिन अब मौसम वैज्ञानिकों ने पश्चिमी उप्र में मानसून के जुलाई के पहले सप्ताह में पहुंचने की संभावना जताई है। मानसून की इस देरी से खरीफ की फसल बुवाई पर खतरा मंड़राने लगा है। कृषि वैज्ञानिकों ने चिंता जताई है अगर ऐसा होता है तो इसका असर उत्पादन पर पड़ेगा।

मेरठJun 28, 2022 / 10:08 am

Kamta Tripathi

मानसून की देरी से वेस्टयूपी में खरीफ की बुवाई पर मंडराया संकट, कृषि वैज्ञानिकों ने जताई चिंता

मानसून की देरी से वेस्टयूपी में खरीफ की बुवाई पर मंडराया संकट, कृषि वैज्ञानिकों ने जताई चिंता

मानसून में देरी से खरीफ की बुवाई पर खतरा मंडरा रहा है। इससे जहां कृषि वैज्ञानिक चिंता में हैं वहीं किसानों के लिए माथे पर भी लकीरें खिचने लगी है। अगर मानसून जुलाई के पहले सप्ताह में भी देरी करता है तो इसका असर खरीफ की फसल पर बुरी तरह से पड़ेगा। जिन किसानों ने बुवाई की है। उनकी फसल ख़राब होने का खतरा मंडरा रहा है। जिन्होंने बोवाई नहीं की है वो सोच रहे है कि फसल की बुवाई करें या नहीं। खरीफ सीजन की फसलों की बुवाई मानसून पर निर्भर होती है। लेकिन इस साल मानसून की चाल पश्चिमी उप्र में धीमी हो गई है।

जबकि देश के अधिकतर राज्यों में मानसून (Monsoon) की बारिश हो रही है। जिसके चलते कुछ राज्यों में खरीफ फसलों की बुवाई शुरू हो चुकी है। हालांकि, कुछ राज्यों में सामान्य बारिश हुई। मेरइ और आसपास के इलाकों में धान की बंपर पैदावार होती है। लेकिन कुछ किसान मूंग, उड़द इत्यादी की भी बुवाई करते हैं। अब इन दोनों फसलों की बुवाई के लिए बहुत कम समय बचा है। इस कारण किसानों के चेहरे मायूस है। क्योंकि मानसून (Monsoon) की देरी से उनकी आय पर प्रभाव पड़ सकता है।
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कृषि वैज्ञानिक डा0 एन सुभाष ने बताया कि हालांकि इस बार प्री मानसून बारिश नहीं हुई है। जिसके कारण किसानों को बुवाई से पहले खेत जोतने में आसानी होती और धान की नर्सरी भी लगाई जाती। लेकिन इस बार प्री मानसून बारिश नहीं होने और मानसून की देरी का असर खरीफ की फसल पर पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि अगर जुलाई के पहले सप्ताह में मानसून नहीं आया तो यह खरीफ की फासल को और अधिक प्रभावित करेगा।

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