scriptKranti 1857: 85 भारतीय सैनिकों का किया कोर्ट मार्शल तो 10 मई को ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ शुरू हुआ विद्रोह | country first freedom struggle on 10 May 1857 Meerut history | Patrika News
मेरठ

Kranti 1857: 85 भारतीय सैनिकों का किया कोर्ट मार्शल तो 10 मई को ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ शुरू हुआ विद्रोह

Highlights

देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 10 मई 1857 पर विशेष
85 भारतीय सैनिकों ने चर्बीयुक्त कारतूस लेने से किया था इंकार
अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह करने के बाद दिल्ली कूच किया था

 

मेरठMay 09, 2020 / 12:29 pm

sanjay sharma

meerut
मेरठ। 9 मई 1857 को सुबह कैंट स्थित परेड ग्राउंड में मेरठ की तीनों रेजीमेंट के भारतीय सिपाहियों ने चर्बीयुक्त कारतूसों को लेने से इनकार कर दिया था। इसके बाद तीसरी अश्वसेना के 85 सैनिकों का कोर्ट मार्शल कर दिया गया। इन सभी को विक्टोरिया पार्क में बनी अस्थाई जेल में डाल में दिया गया। इतिहासकारों के मुताबिक पश्चिम बंगाल के बैरकपुर में मंगल पांडे और इसूरी पांडे को फांसी के बाद सुलगी चिंगारी मेरठ में ज्वाला बनी थी।
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10 मई 1857 मेरठ के तीनों रेजीमेंट के बहादुर सिपाहियों ने खुली बगावत का झंडा उठाकर दिल्ली कूच किया था। इसमें महिलाओं ने भी सहयोग किया था। श्रीमती आशा देवी गुर्जर के पति सैनिक विद्रोह में शामिल थे तो आशा ने महिलाओं की टोलियां बनाकर 13 और 14 मई को कैराना और शामली की तहसील पर हमला बोल दिया था। इसके अलावा बख्ताबरी देवी, भगवती देवी त्यागी, हबीबी खातून गुर्जर, शोभा देवी ब्राह्मामणी, मामकौर गडरिया, भगवानी देवी, इंदरकौर जाट, जमीला पठान आदि सहित मेरठ-मुजफ्फरनगर की 255 महिलाएं फांसी चढ़ी। कुछ लड़ते-लड़ते शहीद हुई। असगरी बेगम को तो पकड़कर जिंदा जला दिया था।
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9 मई 1857 की सुबह परेड ग्राउंड पर कारतूस लेने से इनकार करने वाले तीसरी अश्वसेना के 85 भारतीय सिपाहियों का कोर्ट मार्शल कर दिया गया। जानबूझकर हजारों सैनिक इस घटना के दौरान मूक बने रहे। सिपाहियों को अपमानित करने के बाद विक्टोरिया पार्क स्थित जेल में भेज दिया गया। 10 मई की शाम 5 बजे गिरजाघर घंटा बजता है। इसके बाद साढ़े छह बजे इन्हीं सिपाहियों ने अपने साथी 85 सिपाहियों को जेल से मुक्त कराया। ब्रिटिश सेना के प्रतीकों को हिंसा और आगजनी का शिकार बनाया। इस दौरान कई अंग्रेजों की हत्या कर दी गई। सिपाहियों की कई टोलियां पूर्व नियोजित कार्यक्रम के तहत ‘दिल्ली चलो’ अभियान को अंजाम देती हुई दिल्ली पहुंच गईं।
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11 मई की सुबह सैनिक मेरठ से बड़ी संख्या में दिल्ली पहुंचे। यहां बहादुर शाह का फरमान ब्रिटिश अधिकारियों को दिया गया कि वे दिल्ली के शस्त्रागार को शाही सेना के सुपुर्द कर दें। मारो फिरंगी अभियान के बाद 14 मई को दिल्ली पर क्रांतिकारियों का कब्जा हो गया। इस तरह से 10 मई 1857 प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में एक खास दिन बन गया था।

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