दरअसल, पाबला गांव में गरीबों के लिए शौचालयों का निर्माण किया गया था, लेकिन इन शौचालयों में ग्राम पंचायत अधिकारी अजय शर्मा पर भारी अनियमित्ता बरतने का आरोप लगा था। साथ ही सरकारी बजट का दुरुपयोग का आरोप भी लगा था। इन शौचालयों की जांच करने के लिए 21 सितंबर को क्वॉलीटी काउंसिल आॅफ इंडिया की टीम पहुंची थी और ग्राम पंचायत अधिकारी अजय शर्मा को उपस्थित रहने के आदेश दिए थे, लेकिन उसने वहां पहुंचना भी जरूरी नहीं समझा। उनके अनुपस्थित रहने से शौचालयों का सत्यापन नहीं हो सका और टीम को बिना सत्यापन के ही वापस लौटना पड़ा। इसके बाद टीम ने आकर डीपीआरओ को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी। इसके बाद मामले को गंभीरता से लेते हुए डीपीआरओ आलोक शर्मा ने पंचायत अधिकारी से जवाब तलब किया है। उन्होंने छह बिंदुओं पर जवाब तलब किया है। इन में शौचालयों के सत्यापन पर उपस्थित न होना, पंचायतों में निर्मित शौचालयों की जियो टैगिंग न करना, सरूरपुर कलां में तालाब से जल निकासी न कराना, नाले का प्रस्ताव प्रस्तुत न करना, विभागीय समीक्षा बैठक में बिना पूर्व सूचना के अवकाश स्वीकृति के बिना अनुपस्थित रहना, राज्य वित्त आयोग/चौदहवां वित्त आयोग की धनराशि से अपनी ग्राम पंचायतों में नियम विरूद्ध कार्य करना, दिशा निर्देशों का पालन न करने सहित कई मुद्दों पर जवाब मांगा गया है। साथ ही कहा कि इस तरह के कार्य करने से स्पष्ट होता है कि वह एक लापरवाह, गैर जिम्मेदार और अनुशासनहीन कर्मचारी की श्रेणी में आते हैं और इस तरह के कर्मचारी को पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होेंने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही जवाब नहीं दिया तो उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। इसलिए जल्द ही स्पष्टीकरण दिया जाए।