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हत्या करने के बाद छुपने जा रहे थे, योगी की पुलिस ने धर दबोचा मोनू जाट नहीं निकला शातिर मोनू गुर्जर इस चिट्ठी के मिलने के बाद पुलिस ने अपनी जांच आैर धरपकड़ तेज कर दी थी। इसकी जानकारी चिट्ठी में रंगदारी मांगने वाले को लगातार मिल रही थी। बताते हैं कि मेरठ पुलिस उसे पकड़ने ही वाली ही थी कि गाजियाबाद के कवि नगर थाने में सेटिंग करने के बाद वह गिरफ्तार हो गया आैर जेल भेज दिया गया। एसपी राजेश कुमार ने बताया कि विपिन कंसल को यह चिट्ठी मोनू जाट आैर सुमित जाट ने नहीं बल्कि क्षेत्र के ही शातिर बदमाश मोनू गुर्जर ने भिजवायी थी। हापुड़ के सिंभावली के गांव शरीफपुर के रहने वाले माेनू गुर्जर पर लूट, चोरी, रंगदारी समेत 15 मुकदमें दर्ज हैं। एसपी देहात ने बताया कि मोनू गुर्जर को पुलिस पकड़ने ही वाली थी कि वह गाजियाबाद के कवि नगर थाने में गिरफ्तार हुआ है। व्यापारी के नौकर ने वहां जाकर रंगदारी मांगने वाली की पहचान की है, उसे जेल भेज दिया गया है।
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छह मई 1857 को लिख गई थी प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की पटकथा बदमाश को सता रहा था यह डर 20 लाख रुपये की रंगदारी मांगने वाले शातिर मोनू गुर्जर ने गाजियाबाद जनपद में सेटिंग से गिरफ्तार करार्इ बताते हैं। यह शातिर ने इसलिए भी किया क्योंकि यदि उसे मेरठ पुलिस पकड़ लेती तो मेरठ के जिला कारागार में उसे भेजती है। जिन दो कुख्यातों मोनू जाट आैर सुमिट जाट के नाम से उसने व्यापारी से रंगदारी मांगी थी, ये दोनों बदमाश मेरठ जेल में बंद हैं। शातिर मोनू गुर्जर को डर था कि यदि मेरठ पुलिस उसे पकड़ेगी तो मोनू व सुमित जाट के पास मेरठ जेल में जाना पड़ेगा आैर वहां उसके साथ कुछ भी हो सकता है। इसलिए उसने गाजियाबाद जनपद खुद को पकड़वाने के लिए चुना आैर कवि नगर थाने की पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जनपद की जेल में भेज दिया।