scriptमध्य प्रदेश में कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकती है बसपा, यह है बड़ी वजह | BSP may hurt congress in Mudhya pradesh assembly election | Patrika News
मेरठ

मध्य प्रदेश में कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकती है बसपा, यह है बड़ी वजह

2008 और 2013 में भी कांग्रेस को नुकसान पहुंचा चुकी है बसपा

मेरठOct 21, 2018 / 04:45 pm

Iftekhar

BSP

मध्य प्रदेश में कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकती है बसपा, यह है बड़ी वजह

केपी त्रिपाठी

मेरठ. बहुजन समाज पार्टी मप्र में भले ही सरकार बनाने की स्थिति में न हो, लेकिन वह इस स्थिति में तो है ही कि अन्य दलों का समीकरण बिगाड़ सके। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि पिछले चुनाव के आंकड़े यही बताते हैं। मप्र के पिछले चुनावों के आंकड़ों का विश्लेषण करने से पता चलता है कि बसपा मप्र में तेजी से उभर रही है। मप्र के बसपा प्रभारी अतर सिंह राव कहते हैं कि इस बार बिना बसपा के कोई भी दल सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है। अगर बसपा प्रभारी की इस बात पर गौर करें तो उनका कहना बेमानी नहीं है। उप्र की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने जिस तरह से मध्य प्रदेश में चुनावी बिसात बिछाई है, उससे कांग्रेस तो परेशान है ही, साथ ही वर्तमान की भाजपा सरकार के लिए भी मुसीबतें कम नहीं है।

रेस्टोरेंट में दरोगा की पिटाई के मामले में आया नया मोड़, पार्षद के बचाव में होगा यह काम

गठबंधन न कर कांग्रेस पर बनाया दबाव
दलित चिंतक और मेरठ कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. सतीश के अनुसार मप्र में मायावती ने कांग्रेस के साथ समझौता न कर बड़ी सियासी चाल चली है। इसका लाभ बसपा को आने वाले आम चुनाव में मिल सकता है। डॉ. सतीश का कहना है कि मप्र के चुनाव में सबसे अधिक नुकसान बसपा जिस दल को पहुंचाएगी, वह कांग्रेस है। ऐसे में आने वाले आम चुनाव में कांग्रेस नहीं चाहेगी कि वह फिर से वही गलतियां दोहराए। इसलिए आम चुनाव में गठबंधन होने पर इसका लाभ बसपा को सौ फीसदी मिलेगा।

दरोगा को पीटने वाले इस भाजपा नेता का वीडियो हुआ वायरल तो पार्टी ने किया ये काम

बसपा की मजबूती का कारण 15 प्रतिशत दलित
डॉ. सतीश कहते है कि मध्य प्रदेश में बसपा की मजबूत स्थिति के पीछे जो सबसे अहम कारण है। वह है वहां पर 15 प्रतिशत दलितों की मौजूदगी। कुल मिलाकर देखें तो मप्र के करीब 22 जिलों में बसपा अच्छा खासा प्रभाव रखती है। मध्य प्रदेश में बसपा का विंध्याचल, बुंदेलखंड और ग्वालियर-चंबल संभाग में अच्छा खासा प्रभाव है।

एनडी तिवारी की इस बात को जानने के बाद विपक्ष की इज्जत करने को हो जाएंगे मजबूर

2013 में थी इस स्थिति में
दलित चिंतक डॉ.सतीश कहते हैं कि पिछले विधानसभा चुनाव 2013 में मध्य प्रदेश में बसपा के खाते में चार सीटें आईं थीं। चार सीटे जीतने के बाद करीब 62 विधानसभा सीटें प्रदेश में ऐसी थी, जहां पर बसपा के उम्मीदवार को 10 हजार से अधिक और करीब 17 सीटों पर 30 हजार से अधिक वोट मिले थे। पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा उम्मीदवारों को कुल मिलाकर 6.29 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे। ये स्थिति तब है, जबकि वहां पर कोई पार्टी अपनी जडे़ जमाने की कोशिश कर रही हो।

यह भी पढ़ेंः किसान नेता अपनी फरियाद लेकर फिर पहुंचे सीएम के दरबार, इसके बाद कही ये बात

मायावती मेें है चुनाव के समीकरण बदलने का दम
डॉ. सतीश कहते हैं कि मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस काफी समय से बसपा के साथ गठबंधन की जुगत में थी। लेकिन मायावती ने राजनीतिक चाल चलते हुए खुद ही गठबंधन न करने की बात कह दी। मायावती को पता है कि वह मप्र में बेहद प्रभावी साबित हो सकती हैं।

यह भी पढ़ेंः मोदी सरकार की अब तक किसी ने नहीं की ऐसी तरफदारी, अमर वाणी सुनकर चौंक जाएंगे आप

2003 में शुरू किया था चुनावी सफर
बसपा ने मध्य प्रदेश में 2003 विधानसभा चुनाव से शुरुआत की थी। उस समय कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था। मप्र के 230 सीटों वाली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस केवल 38 सीटों पर सिमट कर रह गई थी। 2003 के इसी विधानसभा चुनाव में बसपा को मात्र दो सीटें ही मिली थी। लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस 25 सीटें सिर्फ बसपा की वजह से हारी थी। कुछ ऐसा ही बसपा के साथ भी हुआ था। इसी चुनाव में बसपा 14 सीटों पर सिर्फ इसलिए हार गई थी, क्योंकि कांग्रेस के साथ वोट बंट गए थे। अगर इन दोनों पार्टियों के नुकसान को जोड़ा जाए तो 25 और 14 सीटे कुल मिलकर 39 सीटें होती हैं। यानी दोनों पार्टियों के अलग-अलग लड़ने से 39 सीटों का नुकसान हुआ।

कभी मुल्ला बनकर राजनीति चमकाने वाले अमर सिंह अब मुसलमानों के खिलाफ उगल रहे जहर

2008 में भी बसपा बिगाड़ चुकी कांग्रेस का खेल
2008 के विधानसभा चुनाव में भी बसपा ने कांग्रेस का खेल बिगाड़ा था। बसपा मध्य प्रदेश में भले ही आज कोई बहुत बड़ी ताकत न हो, लेकिन हर चुनाव में वह 5 से 7 प्रतिशत वोट लेकर दूसरी पार्टी का खेल बिगाड़ देती है। 2008 विधानसभा चुनाव के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो 2003 में 38 सीटें जीतने वाली कांग्रेस 2008 में 71 सीटों पर विजयी रही थी। वहीं, 2003 में 173 सीटें जीतने वाली बीजेपी 143 सीटों पर जीत के साथ सत्ता में लौटी थी। इस चुनाव में बसपा ने कांग्रेस को करीब 39 पर झटका दिया था, जबकि खुद बसपा को करीब 14 सीटें पर कांग्रेस की वजह से मात खानी पड़ी। अगर इन दोनों की सभी सीटों को जोड़ा जाए तो आंकड़ा 131 पहुंच जाता है, जो भाजपा की 143 सीटों के बेहद करीब था।

Hindi News / Meerut / मध्य प्रदेश में कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकती है बसपा, यह है बड़ी वजह

ट्रेंडिंग वीडियो