यह है मामला
नायब सूबेदार जगबीर सिंह पुत्र मंगलू बीएसएफ में तैनात हैं। इस समय वह गुजरात से लगने वाली पाकिस्तान की सीमा पर देश की रक्षा कर रहे हैं। वह मूल रूप से जलालाबाद तहसील सरधना के रहने वाले हैं। उसने बैंक से लोन लेकर गांव में ही जमीन खरीदी थी। खरीदी गई जमीन के पास ही उसकी अपनी पुस्तैनी जमीन भी थी, जिसका खसरा नम्बर 486 है। लेकिन, पीड़ित जवान की भूमि पर तहसील कर्मचारियों की मिलीभगत से श्रीराम पुत्र बलवंत कब्जा जमाना चाहता है। तीन जनवरी 2016 को मौके पर जाकर पीड़ित की भूमि का नापतौल कराने लगे। उस समय वह बार्डर पर तैनात थे। उसे जब इसकी जानकारी लगी तो उसने मेरठ के अधिकारियों को पत्र लिखा और 90 वर्षीय बुर्जुग पिता को अधिकारियों के पास भेजा, लेकिन उसका भी कोई असर नहीं हुआ। गांव आने पर प्रार्थी ने बुजुर्ग ग्रामीणों की मदद से पंचायत बुलवाई और फैसले की बात कही। लेकिन गांव वालों का फैसला मानने से विरोधियों ने इनकार कर दिया। जनवरी 2016 में ही तहसील कर्मचारियों की मिलीभगत से उसकी जमीन पर विरोधियों का कब्जा हो गया।
प्रार्थी को जब जमीन पर कब्जा होने की बात पता चली तो नायब सूबेदार जगबीर सिंह गुजरात के पास पाकिस्तान बार्डर पर तैनात थे। वह अपने अधिकारियों से अवकाश लेकर यहां आए और अब अपनी जमीन का हक पाने के लिए एसडीएम सरधना राकेश कुमार से मिले। वहां पर न्याय न मिलने पर जगबीर सिंह कमिश्नरी पहुंचे और रोते हुए कमिश्नर डॉ. प्रभात कुमार से अपनी जमीन पर हक दिलाने की मांग की। इसी दौरान जब मीडिया से उनकी बात हुई तो उन्होंने अपनी पूरी दास्तान सुनाई।
इस बारे में जब एसडीएम सरधना राकेश कुमार से बात की गई तो उसका कहना था कि जमीन की नापजोख फिर से करवाई जाएगी। जवान को उसका पूरा मालिकाना हक दिलाया जाएगा।