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मायावती के इस खास सिपाही की मुश्किलें आैर बढ़ गर्इ, जानिए अब क्या हुआ किसानों को दिया वादा नहीं हो सका पूरा 2014 के आम चुनाव में एनडीए गठबंधन के प्रधानमंत्री पद के चेहरे नरेंद्र मोदी ने खुलकर आम आदमी और किसानों की बात की थी। किसानों की आय दोगुना करने से लेकर कृषि ऋण, कृषि बीमा, सहित तमाम सहूलियतों पर उन्होंने ताल ठोक कर वादा किया था। किसानों के हित के लिए सरकार कोई भी कदम उठाने से नहीं हिचकेगी, लेकिन इन पूरे हुए चार सालों में केंद्र सरकार द्वारा किए वादे और किसानों की स्थिति में कोई बदलाव न होते देख इन दिनों किसान संगठन आंदोलनरत हैं कई राज्यों में सब्जियों को सड़कों पर फेंक कर विरोध जताया जा रहा है। दूध भी सड़क पर बहाया जा रहा है। ऐसे में किसान के मुद्दों पर घिरता देख मोदी मंत्रिमंडल 48 महीने की अपनी उपलब्धियों को गिनाने के लिए जो कार्ड जारी किया था उससे गन्ना किसानों को बाहर कर दिया गया था। सूत्रों की मानें तो कैराना में हुई हार भी किसान नीति पर मोदी के फेल होने का नतीजा रहा है। बीजेपी नेता और प्रधानमंत्री मोदी लगातार किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें कर्ज मुक्त करने के दावे और वादे तो करते रहे हैं। सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुना करना चाहती है और सरकार इसके लिए प्रयास भी कर रही है, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात हैं किसानों का सब्र बार-बार टूट रहा है।
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उप मुख्यमंत्री की विवादित टिप्पणी को विपक्ष के नेताआें ने कैराना आैर नूरपुर से जोड़ा, कुछ कहा एेसा चीनी मिलाें पर सख्त हुई सरकार मोदी और योगी सरकार चीनी मिलाें पर सख्त हो गई है। सरकार ने मिल संचालकों से कह दिया है कि जब तक किसानों का गन्ना खेत मे खड़ा है मिल रुकनी नहीं चाहिए। वहीं प्रत्येक मिल की समीक्षा प्रतिदिन की जा रही है। किस मिल ने किसानां के बकाये का भुगतान किया और उसका प्रतिदिन कितना बकाया है।
7000 करोड़ के पैकेज का मरहम किसानों को अपने पाले में करने के लिए केंद्र सरकार गन्ना किसानों को 7000 करोड़ का पैकेज देने पर विचार कर रही है। यह पैकेज उन किसानों के लिए मरहम का काम करेगा, जिन्हें सरकार ने वादों का जख्म तो दिया, लेकिन उस पर राहत के लिए कोई मरहम नहीं दिया।