बड़ी खबर: लोकसभा चुनाव से पहले
अखिलेश यादव ने इस नेता को फिर सौंपी बड़ी जिम्मदारी उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने पश्चिमी उप्र में कैंप किया हुआ है। उसके अलावा भाजपा ने नवनिर्वाचित राज्यसभा सांसद कांता कर्दम को भी कैराना फतह के लिए मैदान में उतारा है। सांसद कांता कर्दम को गुरूवार को भाजपा सांसदों और पार्टी कार्यकर्ताओं के एक दिनी सांकेतिक उपवास और धरने के लिए शामली जिले की कमान सौंपी गई थी। भाजपा के इस पैंतरे को पश्चिमी यूपी में दलितों को भाजपा के खेमे में लाने की एक राजनैतिक चाल माना जा रहा है।भाजपा सांसदों के उपवास को लेकर सपा के इस पूर्व मंत्री ने दिया बड़ा बयान, मची खलबली
मुस्लिम-दलित समीकरण जीत में निभाते हैं अहम रोलकैराना में मुस्लिम और दलित समीकरण चुनावी जीत में अहम रोल निभाते है। पिछले चुनाव में भाजपा सांसद और दिवंगत नेता हुकुम सिंह ने कैराना में पलायन का मुद्दा छेड़कर चुनाव को गर्मा दिया था। जिस कारण चुनाव का ध्रुवीकरण हो गया था और हिन्दु-मुस्लिम दो खेमे में बंट गये थे। लेकिन इस उपचुनाव में परिस्थिति 2014 से बिल्कुल जुदा हैं।
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उपचुनाव लड़ने वाले हुकुम सिंह नहीं उनकी बेटी मृगांका सिंह हैं और दलित वोट भाजपा से नाराज चल रहा है। चूंकि कांता कर्दम भाजपा की दलित कोटे से सांसद हैं। इसलिए भाजपा ने अपनी इस दलित महिला सांसद को कैराना में दलित वोटों को लुभाने के लिए चुनाव प्रचार और दलितों के बीच पैठ बनाने के उद्देश्य से उतारा है।शामली जिले में आने वाली कैराना लोकसभा में तीन विधानसभाएं आती हैं। जिनमें शामली, कैराना और थाना भवन शामिल हैं। कैराना में शुरू से भाजपा, सपा और बसपा में कांटे की टक्कर रही है। भाजपा के हुकुम सिंह का यहां की राजनीति में अच्छा रसूख रहा है। जबकि सपा के दिवंगत सांसद और मुलायम सिंह के खास कहे जाने वाले मुनव्वर हसन भी कैराना की राजनीति में दखल रखते थे।
सांसद कांता कर्दम ने बताया कि उन्हें जो जिम्मेदारी सौंपी गई है, उस जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ निभाऊंगी। उन्होंने कहा कि कैराना उपचुनाव की जीत के लिए पार्टी ने अपनी अलग रणनीति बनाई है। उसी रणनीति के तहत उन्हें कैराना भेजा गया है।