2 अप्रैल 1909 को ब्रिटिश भारत के लाहौर में कुदसिया बेगम के रूप में हुआ था। 1929 में यूपी के अवध के हरदोई जिले में संडीला के जमींदार नवाब एजाज रसूल से शादी की। पति और पत्नी ने मुस्लिम लीग के लिए काम किया। 1937 के चुनावों में बेगम उन कुछ महिला उम्मीदवारों में से एक थीं, जिन्होंने गैर-आरक्षित सीट से चुनाव लड़ा और यूपी विधान सभा के लिए चुनी गईं।
बेगम 1950 से 1952-54 तक परिषद में विपक्ष के नेता के रूप में रहींं। वह भारत की पहली महिला और इस विशेष स्थान तक पहुंचने वाली दुनिया की पहली मुस्लिम महिला बनीं।
जमींदार परिवार से होने के बावजूद बेगम रसूल भी जमींदारी उन्मूलन का पुरजोर समर्थन करती थी। वह 1946 में भारत की संविधान सभा के लिए भी चुनी गईं और विधानसभा में एकमात्र मुस्लिम महिला थीं।
1952-54 में राज्यसभा के लिए चुनी गईं। 1969 से 1989 तक उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य के रूप में कार्य किया। 2000 में, बेगम रसूल को सामाजिक कार्यों में उनके योगदान के लिए तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
20 साल तक, बेगम रसूल ने भारतीय महिला हॉकी महासंघ के अध्यक्ष का पद संभाला और एशियाई महिला हॉकी फेडरेशन संघ की अध्यक्ष भी रहीं। यहां तक कि भारतीय महिला हॉकी कप का नाम भी उन्हीं के नाम पर रखा गया है। 1 अगस्त 2001 को 92 वर्ष की आयु में लखनऊ, में उनका निधन हो गया।