2000 में हुए हत्याकांड ने हिला दिया था देश को बात जनवरी 2000 की है। तब मेरठ में हुए एक हत्याकांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। हालांकि, पुलिस ने इसको मुठभेड़ का रूप दिया था। इसके बाद एक बेबस पिता ने अटल जी को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई थी, जिसके बाद सीबीआई जांच के आदेश हुए थे। इसमें पुलिस अधिकारी तक दोषी पाए गए थे। 15 साल बाद सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में रिटायर डिप्टी एसपी और दो कांस्टेबलों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
यह था मामला स्मिता भादुड़ी पल्लवपुरम निवासी सुमित भादुड़ी की बेटी थी। वह मेरठ काॅलेज में बीएससी कर रही थी। 14 जनवरी 2000 को वह अपनी मां से अपने दोस्त मोहित के साथ जाने की बात कह कर घर से निकली थी लेकिन आज तक वापस नहीं लौटी। मीडिया रिपोर्र्स के अनुसार, सिवाया के पास उन्हें रोककर पुलिस ने स्मिता पर गोलियां बरसाकर उसकी हत्या कर दी थी। 14 जनवरी 2000 को हुई घटना में दौराला थाने के इंस्पेक्टर अरुण कुमार कौशिक, दो सिपाही भगवान सहाय और सुरेंद्र सिंह को आरोपी बनाया गया था। इस घटना में मोहित त्यागी घायल हो गया था। दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ते थे। मोहित बीकॉम फाइनल कर रहा था। रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद भी जब कोई न्याय की उम्मीद नहीं दिखी तो पीड़ित परिवार ने अटल बिहारी वाजपेयी को पत्र लिखा था। इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे।
नहीं थी न्याय की उम्मीद सुमित भादुड़ी का कहना है कि रिपोर्ट दर्ज कराने के बावजूद भी आरोपी खुलेआम घूम रहे थे। बेटी की मौत से परिवार टूट गया था। उन्होंने बताया कि इससे पत्नी को गहरा सदमा लगा था। वह डिप्रेशन का शिकार हो गई थी। न्याय की उम्मीद में वर्ष 2011 में स्मिता की मां भी की मौत हो गई थी। अटल जी को पत्र लिखने के बाद उनके पास वहां से जवाब आया था। इसके बाद ही रिटायर डिप्टी एसपी अरुण कुमार कौशिक, कांस्टेबल सुरेंद्र व भगवान सहाय को उम्र कैद की सजा मिली थी। उनका कहना है कि अगर अटल जी न होते तो उनको न्याय नहीं मिल पाता।