कड़ाके की ठंड में गई गरीब की जान, परिवार के आगे गहराया रोजी रोटी का संकट नहीं थे ठंड से निपटने के पूरे इंतजाम, पत्रिका अभियान में हुआ खुलासा महानगर के रैन बसेरों की हालत किसी से छिपी नहीं है। नगर निगम द्वारा गरीबों के लिए बनवाए गए रैन बसेरे रात में सोने का ठिकाना होते हैं, लेकिन इस बार ठंड का आधे से अधिक मौसम बीत जाने के बाद भी इन रैन बसेरों में ठंड से निपटने के पूरे इंतजाम नहीं थे। बता दें कि महानगर में कुल पांच रैन बसेरे बनाए गए हैं। ये महानगर के प्रमुख चौराहों और मुख्य जगहों पर स्थित हैं। नगर निगम ने रैन बसेरे बनाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली थी, लेकिन बदइंतजामी के कारण गरीबों ने इन रैन बसेरों से किनारा करना शुरू कर दिया था। कभी सर्दी की रातों में गुलजार रहने वाले रैन बसेरों में इस बार भीषण ठंड में भी सन्नाटा पसरा हुआ था। पत्रिका ने महानगर के रैन बसेरों की दिन और रात में पूरी पड़ताल की। इस पड़ताल में महानगर के अधिकांश रैन बसेरों में गरीब मात्र एक पतले कंबल के सहारे रात बिताने को मजबूर थे।
गजब: यूपी ने 5 राज्यों को पीछे छोड़ जीती विश्व की सबसे बड़ी ट्रॉफी मेयर ने लिया संज्ञान अभियान के बाद जब पत्रिका ने महानगर के रैन बसेरों की बदहाली पर नवनिर्वाचित महापौर से जवाब मांगा तो पहले तो उन्होंने इस पर अनभिज्ञता प्रकट की, लेकिन खबर छपने के 24 घंटे के भीतर ही उन्होंने निगम अधिकारियों और कर्मचारियों को आदेश दिए कि सभी रैन बसेरों में हर हाल में रात में रजाईयां पहुंच जानी चाहिएं। महापौर के इस आदेश के बाद अधिकारी रविवार को पूरे दिन रैन बसेरों में रजाई की व्यवस्था में जुटे रहे। शाम होते-होते सभी रैन बसेरों में रजाई के इंतजाम कर दिए गए। इसके बाद महापौर ने पत्रिका को धन्यवाद दिया और कहा कि लोगों की समस्या को पत्रिका ने प्रमुखता से उजागर किया है। इसके लिए उन्होंने पत्रिका डाट
काम को धन्यवाद भी दिया।