रिटायर्ड कर्नल ने सुनाई आपबीती, यूपी पुलिस की करतूत का खुलासा करते हुए सीएम योगी को लिखा पत्र जी हां, सिस्टम और बागपत प्रशासन से हार मान चुकी इस बेटी का नाम दीपाली कौरी है। दरअसल, बागपत की बड़ौत तहसील के गांव बामनौली के रहने वाले भूमिहीन किसान नरेन्द्र कौरी की बेटी दीपाली का चयन जवाहर नवोदय विद्यालय में हो गया है। बचपन से लेकर अब तक पढ़ाई में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली दीपाली अब घर में कैद होने को इसलिए मजबूर है। यहां बता दें कि बागपत निवासी किसान नरेन्द्र कौरी आर्थिक रूप से कमजोर हैं। उनकी बड़ी बेटी ज्योति कौरी जवाहर नवोदय विद्यालय में पढ़ती है। इसलिए उनकी छोटी पुत्री दीपाली भी नवोदय में ही अपनी बड़ी बहन के साथ एक ही स्कूल में पढ़ना चाहती है, लेकिन बागपत की इस बेटी का भविष्य राजनितिक कारणों से अटक गया है। दर-दर की ठोकरें खाने के बाद समय पर उसका जाति प्रमाण पत्र नहीं बन सका है। क्योंकि दाखिले की अंतिम तिथि 25 अगस्त थी। इसलिए उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अपने लाचार पिता और अपने लिए इच्छा मृत्यु की मांग की है। परिजनों का आरोप है कि कौरी समाज भाजपा का वोट बैंक है। इसलिए बागपत के डीएम रिशिरेन्द्र कुमार और बड़ौत तहसील के तहसीलदार मांगेराम उनका प्रमाण पत्र नहीं बना रहे हैं। परिजनों का आरोप है कि तहसीलदार एक पूर्व मंत्री के गांव के रहने वाले हैं और पूर्व मंत्री दूसरी पार्टी से ताल्लुक रखते हैं। साथ डीएम बागपत भी वहीं ताल्लुक रखते हैं। आरोप है कि जाति प्रमाण पत्र न बनने से कौरी समाज सरकार से नाराज हो जाए। इसीलिए यह पूरा षड्यंत्र रचा जा रहा है।
रक्षाबंधन पर एसएसपी ने दो लड़कियों को दिया एेसा अनोखा गिफ्ट कि खुशी से झूम उठीं ये लिखा है पत्र में मैं एक गरीब, भूमिहीन, मजदूर पिता की लाचार बेटी हूं। इस भ्रष्ट प्रशासन से टक्कर कैसे ले सकूंगी। अत: मैं हार मान चुकी हूं। मैं और मेरे मजबूर पिता आपसे इच्छा मृत्यु की मांग करते हैं। माननीय प्रधानमंत्री जी मैं अच्छी तरह से जान चुकी हूं कि गरीब बेसहारा का इस दुनिया में कोई सुनने वाला नहीं है । अत: हम दोनों पिता-पुत्री मौत को गले लगाना चाहते हैं। मेरे लिए इश्वर तुल्य आपसे इस प्रार्थना की मंजूरी के इंतजार में आपकी बेटी दीपाली कौरी।
बाढ़ का कहर: यूपी के इस जिले में 50 से ज्यादा गांव से सम्पर्क कटा, खतरे की निशान से ऊपर बह रही नदी बागपत प्रशासन नहीं दे रहा जवाब परिजनों का कहना है कि उनकी जाति के लोग गांव में रहते हैं और उनकी बड़ी बेटी का पहले भी कौरी जाति का ही प्रमाण पत्र बना हुआ है, फिर अब क्यों नहीं बनाया जा रहा है। आरोप है कि बागपत डीएम इस मामले को लेकर गंभीर नहीं हैं। वहीं इस मामले पर बागपत प्रशासन मीडिया से बात करने को तैयार नहीं है। अब देखना यह है कि सिस्टम से हार चुकी इस बेटी का दर्द क्या पीएम मोदी समझ पाएंगे? क्या इस बेटी का दाखिला भी नवोदय विद्यालय में हो पाएगा?