scriptSolar eclipse 2019: 140 साल बाद बन रहा सूर्य ग्रहण में पांच ग्रहों का योग, उपाय करने से होगा लाभ, देखें वीडियो | 5 planets in solar eclipse formed after 140 years | Patrika News
मेरठ

Solar eclipse 2019: 140 साल बाद बन रहा सूर्य ग्रहण में पांच ग्रहों का योग, उपाय करने से होगा लाभ, देखें वीडियो

Highlights

सूर्य ग्रहण के 12 घंटे पहले लग जाएगा सूतक
मेष, वृष, धनु व मकर के लिए कष्टकारी रहेगा
पूजा-अनुष्ठान से मिलेगी अनेक कष्टों से मुक्ति

 

मेरठDec 24, 2019 / 11:46 am

sanjay sharma

meerut
मेरठ। आगामी 26 दिसंबर को इस वर्ष का अंतिम सूर्य ग्रहण (Solar eclipse 2019) लग रहा है। यह सूर्य ग्रहण (Solar eclipse) सुबह 8.20 से 11.14 बजे तक रहेगा। सूर्य ग्रहण की अवधि 2.53 घंटे की होगी। ग्रहण का मध्यकाल 9.40 बजे होगा। ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक काल (Sutak Timing) लग जाएगा, इसलिए 25 दिसंबर की रात 8.20 से सूतक काल शुरू हो जाएगा। इस दौरान ज्यादातर मंदिरों (Temples) के कपाट सूतक काल में बंद हो जाएंगे। दूसरे दिन 26 दिसंबर को दोपहर 11.14 के बाद ही मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खोले जाएंगे। यह साल का अंतिम सूर्यग्रहण को होगा। खास बात है यह ग्रहण लोगों के लिए सुखद समाचार (Good News) लेकर आएगा। दरअसल, 140 साल बाद विशेष योग (Special Yog) बन रहा है।
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पंडित डा. रामप्रकाश शास्त्री ने बताया कि इस बार गुरुवार और अमावस्या का विशेष योग बन रहा है। मूल नक्षत्र का भी लाभ मिलेगा। इसलिए यह योग बेहद कल्याणकारी रहेगा। धनु राशि पर ग्रहण लगेगा और उस राशि में पांच ग्रह- सूर्य, गुरु, शनि, केतु, चंद्रमा भोग करेंगे। पंच महापुरुष योग मिलेगा और गुरु के अस्त होने से चंद्र फलदायी होंगे। धनु, मकर, मेष, वृष के लिए सूर्य ग्रहण थोड़ा कष्टकारी रहेगा, पर पूजन-अनुष्ठान से इसकी मुश्किलों को कम कर राहत पाई जा सकती है। अन्य राशियों के लिए पौषीय सूर्य ग्रहण सुखदायी रहेगा।
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पौष मास में ग्रहण होने से देश की संपन्नता और स्थिरता में बढ़ोतरी होगी। अच्छी बारिश होने की संभावना है। साथ ही रोग से भी मुक्ति मिलेगी। आराध्यों के पूजन-अनुष्ठान से लंबे कष्टों से भी मुक्ति मिल सकती है। सूर्य के साथ केतु, बृहस्पति, चंद्रमा आदि ग्रह होने से फलित ज्योतिष में इसका प्रभाव विशेष हो जाता है। ऐसी गणनाएं लगभग 140 साल बाद होती हैं। उन्होंने बताया कि ग्रहण के बाद वस्त्र सहित स्नानादि करें। ग्रहण के दौरान विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।

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