आज शाम को घाटों पर व्रतियों ने डूबते हुए सूरज को अर्घ्य दिया। लोग डूबते हुए सूरज को अर्घ्य क्यों देते हैं इसके पीछे बहुत सारी मान्यताएं हैं।
इन मान्यताओं के अनुसार डूबते समय भगवान भास्कर अपनी पत्नी प्रत्युषा के साथ होते है । इस समय अर्घ्य देने से
लोक कल्याण और उत्तम फल की प्राप्ति होती है। डूबता हुआ सूर्य इस बात का प्रतीक होता है कि हम अपने जीवन में की गई तपस्या का फल मिलेगा।वह जीवन के उस काल को दर्शाता है जब किए गए कार्यों के फल की प्राप्ति होती है।
वहीं उगते समय भगवान भास्कर अपनी पत्नी उषा के साथ होते हैं। इस समय दिया हुआ अर्घ्य वंश वृद्धि करता है।
8 नवंबर अर्थात सप्तमी के दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही आस्था का यह महापर्व समाप्त हो जायेगा।
कल 6 बज कर 48 मिनट पर सूर्य भगवान के दर्शन होंगे। उसी समय भगवान को यह अर्घ्य अर्पित किया जायेगा।