अध्यापक हमेशा विभाग को सूचना देने में ही व्यस्त रहता। इनमे से कुछ अध्यापक ऐसे हैं जो रिटायरमेंट के करीब हैं और उन्हें मोबाइल चलाने भी नहीं आती,फिर भी सरकार उन्हें मोबाइल से सूचना देने पर मजबूर करती है।इसके साथ ही सरकार उन्हें बहुत सारा काम करने के लिए मजबूर करती है अध्यापकों की ड्यूटी बीएलओ, जनगणना, मत गणना, फल वितरण ,दूध वितरण, एमडीएम बनवाने इत्यादि में लगा देती है।
अध्यापक ही सफाई करे,कैंपस में झाड़ू लगाते, शौचालय साफ करे और घर से बच्चों को ढूंढ कर स्कूल भी लाए। इतना सब कराने के बाद विद्यालय के बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देकर उन्हें निपुण भी बनाते।
उन्होंने कहा कि यदि अध्यापक पूरे दिन यही सब करेगा तो पढ़ाएगा कब??? आखिर बच्चों को दिया गया निःशुल्क शिक्षा का अधिकार का उद्देश्य पूरा कैसे होगा,जब शिक्षा देने वाले अध्यापकों के साथ ऐसा हो रहा। उन्होंने बताया कि इस संबंध में उन्होंने संसद में सवाल भी पूछा है।
इसके अलावा उन्होंने सरकार से मांग की कि जनसंख्या के हिसाब से जिले में केंद्रीय विद्यालय खोले जाएं। साथ ही उन्होंने कस्तूरबा गांधी विद्यालय हर ब्लॉक में जनसंख्या के हिसाब से खोलने की मांग की। इसके साथ ही उन्होंने एकलव्य विद्यालय योजना के बारे में भी सरकार से जानकारी उपलब्ध कराने की मांग की।