सीपीआई नेता अतुल कुमार अन्जान ने कहा कि देश में 17वीं लोकसभा चुनाव से पहले विधानसभा के चुनाव में चुनाव आयोग की भूमिका संदेहास्पद , हास्यास्पद हो गई । पुरानी परंपराओं से हटकर चुनाव आयोग को देखकर ऐसा लग रहा है, कि राजा का बाजा बज गया है। मणिपुर के चुनाव की तारीख आज तय होती हैं चुनाव आयोग घोषणा कर रहा है, आज ही तो गुजरात की भी कर सकता था । लेकिन गुजरात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकार्पण कर रहे थे । इसलिए उनको लेवल प्लेइंग फील्ड नहीं मिल रहा था तो चुनाव आयोग ने फील्ड ही फील्ड दे दिया । इसके साथ ही दूसरे दिन चुनाव आयोग ने एलान कर दिया।
चुनाव आयोग गुजरात में आचार संहीता लागू हो गई है । यह दोहरे मापदंड चुनाव आयोग के द्वारा क्यों अपनाए जा रहे हैं । आपको यह गंभीर भ्रष्टाचार नहीं लग रहा है इस देश के अंदर अगर प्रधानमंत्री देश के अंदर 135 करोड़ लोगों की भावनाओं का प्रतिनिधित्व कर रहे साथ ही 100 करोड़ के आसपास के मतदाताओं का मत प्रयोग करने के लिए निर्वाचन पद्धति का लोकतांत्रिक पद्धति संविधान के एक संवैधानिक संस्था काम करने वाली संस्था है। चुनाव आयोग अगर अपनी मर्यादाओं से विमुख हो जाए तो फिर मर्यादा पुरुषोत्तम राम का नारा देने से क्या मतलब ।
इसलिए मैं आज समझता हूं कि सुप्रीम कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरीके से पुछा है उसको नजरअंदाज नहीं करना चाहिए उस पर निशानदेही करनी चाहिए अगर सुप्रीम कोर्ट भ्रष्टाचार के संबंध के प्रश्न पर अनियमितताओं के प्रश्न पर क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड आफ इंडिया पर एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त कर सकता है। अगर सुप्रीम कोर्ट बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि पर के संबंध में सक्षम होने के बाद भी तीन आदमियों की कमेटी नियुक्त कर वार्ता कर नये रास्ते को खोलने के लिए संपूर्ण प्रक्रिया को समझने के लिए एक कमेटी नियुक्त कर सकता है । तो अब समय आ गया है कि चुनाव आयोग विफल हो रहा है सुप्रीम कोर्ट को अपनी निगरानी में ठीक करने के लिए ठीक तरीके से काम करने के लिए एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त करने में क्या परेशानी है इस चुनाव के बाद हमारे जैसे लोग इस प्रश्न को कोर्ट में ले करके जाएंगे।
BY- Vijay Mishra