मथुरा से वृंदावन के मार्ग में एक बेहद खूबसूरत विशाल संगमरमर का मंदिर है। इस मंदिर को पागल बाबा का मंदिर के नाम से जाना जाता है। दस मंजिला इस विशाल मंदिर की रमणीयता के आप वशीभूत हो जाएंगे। जानिए इस मंदिर से जुड़ी हैरान कर देने वाली दस बातें।
1. विश्व में यह अपने किस्म का दस मंजिल वाला पहला मंदिर है। हर मंजिल पर आप भगवान के दर्शन करते हुए चढ़ते जाते हैं और रास्ता इस तरह से बनाया गया है कि सभी मंदिरों की परिक्रमा अपने आप पूरी हो जाती है।
2. इस मंदिर का निर्माण संत श्रीमद् लीलानंद ठाकुर ने कराया था। ये मंदिर किसी चमत्कारी स्थल से कम नहीं हैं। मंदिर में अखंड हरनाम संकीर्तन होता रहता है। श्रीमद् लीलानंद ठाकुर को पागल बाबा के नाम से जाना जाता था।
3. इस मंदिर के पीछे की कहानी प्रचलित है कि बांके बिहारी का एक गरीब ब्राह्मण बहुत बड़ा भक्त था। एक बार उसने एक महाजन से कुछ रुपए उधार लिए थे और हर महीने उसे थोड़ा-थोड़ा करके चुकता रहता था। जब लास्ट किस्त रह गई तब महाजन ने उसे अदालती नोटिस भेज दिया कि अभी तक उसने उधार चुकता नहीं किया है इसलिए पूरी रकम ब्याज वापस करे। ऐसे में ब्राह्मण बहुत परेशान हो गया था। उसने महाजन के पास जाकर बहुत सफाई दी लेकिन महाजन अपने दावे से टस से मस नहीं हुआ और मामला कोर्ट तक पहुंच गया।
4. कोर्ट में भी ब्राह्मण ने जज से यही कहा कि उसने सारा पैसा चुका दिया है और महाजन झूठ बोल रहा है। जज ने पूछा कोई गवाह है जिसके सामने तुम महाजन को पैसा देते थे। थोड़ी देर रुक कर और सोच कर ब्राह्मण ने कहा, मेरे हिस्से की गवाही बांके बिहारी देंगे। ऐसे में अदालत ने गवाह का पता पूछा तो ब्राह्मण ने बताया, “बांके बिहारी वल्द वासुदेव, बांके बिहारी मंदिर वृंदावन। ऐसे में इस पते पर सम्मन जारी कर दिया गया। ब्राह्मण ने सम्मन को मूर्ति के सामने रखकर कहा, बांके बिहारी आपको गवाही देने कचहरी आना है।
5. गवाही के दिन सचमुच एक बूढ़ा आदमी जज के सामने खड़ा होकर बता गया कि पैसे देते समय मैं साथ होता था और साथ ही यह भी बता गया कि कब-कब रकम वापस की गई थी। जब जज ने सेठ का बहीखाता देखा तो गवाही सच निकली। रकम दर्ज थी और नाम फर्जी डाला गया था। जज ने ब्राह्मण को निर्दोष करार दे दिया।
6. जब जज ने ब्राह्मण गवाही देने वाले बुजुर्ग आदमी के बारे में पूछा तो ब्राह्मण बोला अरे जज साहब यही तो मेरा ठाकुर था। जो भक्त की दुविधा देख ना सका और भरोसे की लाज बचाने आ गया। इतना सुनने के बाद जज ब्राह्मण के चरणों में लेट गए और अपना घरबार और सारा काम-धंधा सब छोड़ ठाकुर को ढूंढने के लिए निकल आए और फकीर बन गए। जब वो बहुत साल बाद वृंदावन लौट कर आए तो लोग उन्हें पागल बाबा के नाम से जानने लगे।
7. संत श्रीमद् लीलानंद ठाकुर ने बांके बिहारी जी को समर्पित ऐसे पांच मंदिरों का निर्माण कराया था, इनमें से दो वृंदावन में हैं, दो असम में और एक बिहार में है। सभी में रोजाना हजारों लोगों की खिचड़ी सेवा की जाती है।
8. मंदिर में सुबह आठ से रात आठ बजे तक इलेक्ट्रॉनिक पद्धति से कृष्णलीला, रामलीला और पागल बाबा लीला अनवरत होती रहती है। मंदिर के निचले भाग में कठपुतली डांस आयोजित होता है। 9. आठ बीघा में बने इस मंदिर में पांच बीघे में गौशाला है। विशाल पागल बाबा हॉस्पिटल भी बना है। जहां हजारों रोगियों का रोजाना उपचार किया जाता है। मंदिर के खर्च पर दिल्ली ले जाकर ऑपरेशन भी कराये जाते हैं।
10. पागल बाबा के मंदिर को एक मॉडर्न वास्तुकला का उदाहरण माना जाता है। पूर्णिमा के अवसर पर इस मंदिर में हजारों की तादाद में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं। कहा जाता है कि,इस मंदिर में कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर में अगर कोई व्यक्ति अपनी कोई अर्जी लेकर आता है तो बिहारी जी उसकी सारी परेशानियों को हर लेते हैं।
Hindi News / Mathura / #UPDusKaDum मॉडर्न वास्तुकला बेहतरीन उदाहरण है पागल बाबा का मंदिर, जानिए इस मंदिर से जुड़े हैरान कर देने वाले दस तथ्य