उन्होंने कहा, “जैसा कि न्यूज के माध्यम से जानकारी मिल रही है कि तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में चर्बी का होना पाया गया है, तो मैं स्पष्ट कर दूं कि हमारे श्री बांके बिहारी मंदिर
वृंदावन में बिहारी जी को जो भोग बनता है, उसमें शुद्धता व पवित्रता का पूरा ध्यान रखा जाता है।”
कैसे बनता है बिहारी जी का भोग?
उन्होंने कहा, “बिहारी जी के भोग के लिए हम जो घी, दूध, दही व मक्खन का प्रयोग करते हैं, वह हमें ब्रज में ही उपलब्ध हो जाता है। कहीं बाहर से नहीं मंगाना पड़ता। हमारे यहां बहुत गाए हैं। ठाकुर जी का ब्रज गायों के लिए प्रसिद्ध है। अपने गौशालाओं में रह रहीं गायों से दूध निकाला जाता है। उसी दूध से भगवान का भोग लगता है, दही जमाया जाता है। उसी के मक्खन और घी से ठाकुर जी की रसोई में प्रसाद बनता है। बाहर से घी, मक्खन, दही नहीं लिया जाता है।” ‘धर्म को बचाना बहुत जरूरी’
उन्होंने आगे कहा, “मेरा मानना है कि मिलावट अक्षम्य अपराध है। अपने धर्म को बचाना हम लोगों के लिए बहुत जरूरी है। हम अपने सनातन धर्म के लिए, अपनी हिंदू संस्कृति के लिए और अपने मंदिरों की शुद्धता व पवित्रता को बनाए रखने के लिए इन चीजों का विशेष ध्यान रखें, ताकि भगवान का प्रसाद शुद्ध व पवित्र बन सके।”
‘किसी भी तरह की लापरवाही अस्वीकार्य’
उन्होंने कहा, “कोई भी धर्माचार्य या कोई भी पुजारी या पंडित नहीं चाहेगा कि, भगवान की सेवा पूजा में कोई त्रुटि हो, लेकिन अगर कहीं से भी कोई शिकायत आती है, तो वह जांच का विषय है, उसको दूर करने की जरूरत है। मैं शासन-प्रशासन व मंदिरों के प्रबंधन से निवेदन करता हूं कि भगवान की सेवा पूजा के लिए जो प्रसाद बन रहा है, उसकी शुद्धता व पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाए। हमारी आस्था और भगवान हमारे लिए सबसे पहले हैं। इसमें किसी भी तरह की लापरवाही अस्वीकार्य है।”