सत्संग में प्रचारिका बहन पूनम अरोड़ा ने कहा कि हर नारी जो स्वयं में खुश रहना चाहती हैं और घर-परिवार को भी खुशमय बनाना चाहती हैं तो ’’ निरंकारी सत्संग’’ से बेहतर कोई विकल्प नहीं है। निरंकारी सतगुरू से ब्रह्मज्ञान प्राप्त कर लाखों घर परिवारों में रोनकें आ गयी हैं। उन्होंने कहा कि घर में सभी सदस्यों को सम्मान दिया जाए। मां हो या सास, बहन हो या ननद, पिता हो या ससुर, हर एक रिश्तें का अपना स्थान हैं, अपना महत्व है। जीव-जन्तु-पशु तथा प्रकृति सब अपने स्वभाव अनुसार काम कर रहे हैं, किन्तु मनुष्य अपने मानवीय स्वभाव के विपरीत कार्य कर रहा है। जब कोई भी अपनी सीमा से बाहर जाएगा, तो समाज हो या ग्रहस्थ में हलचल होना स्वाभाविक है। इसलिए एक-दूसरे के स्वभाव को समझें। एक-दूसरे की रुचि का आदर करें। अधिकार जताने की बजाय कर्तव्यों के पालन पर ध्यान दें। मंथरा कैकयी के बजाय, शबरी, अहिल्या, मीराबाई जैसा किरदार हों।
सत्संग से लें सीख
निरंकारी प्रचारिका ने कहा कि निरंकारी सत्संग से सीख लेकर हजारों नारियों ने अपने घर परिवार की तस्वीर बदल दी है, वे सिर्फ प्रवचन सुनने तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि निरंकारी सतगुरु द्वारा प्रदान ’’ब्रह्मज्ञान’’ को अपने जीवन का हिस्सा बनाकर, अपने आचरण द्वारा प्रेम तथा शांति का माहौल देकर अपने ही घर को स्वर्ग बना दिया है। उन्होंने कहा कि निरंकारी सदगुरू माता सविन्दर हरदेव जी महाराज की प्रेरणा से हर शहर में निरंकारी सत्संग के माध्यम से सास-बहु, ननद-भौजाई, देवरानी-जेठानी, पति-पत्नी, के बीच रिश्तों में मिठास लाने तथा आपस में प्रेम बढाने का प्रयास किया जा रहा है। जिन घरों में सत्संग होता है वहां सास बहु लड़ती नहीं, बल्कि मां बेटी सा प्रेम करती हैं। नारी अगर चाहे तो घर परिवार को एकत्व की डोर में बांधे रख सकती है, इसके लिए प्रेम नम्रता तथा सहनशीलता के आभूषणों को धारण करना जरूरी है। तभी घर परिवार की तस्वीर बदलेगी और स्वर्गमय नजारा भी दिखेगा।
देशभर में चल रहा है अभियान
प्रवक्ता किशोर ‘‘स्वर्ण’’ ने बताया कि निरंकारी सतगुरु माता सविन्दर हरदेव जी महाराज की प्रेरणा से देशभर में महिला समागम आयोजित किये जा रहे हैं। “नारी तेरे रूप अनेक” लघु नाटक का मंचन
बहन गौरी खत्री के नेतृत्व में बालिकाओं ने नारी तेरे रूप अनेक लघु नाटक प्रस्तुत कर बताया कि निरंकारी मिशन में प्रारम्भ से ही नारी शक्ति का सम्मान रहा हैं। वर्तमान सतगुरु माता सविन्दर हरदेव जी स्वयं एक नारी हैं। निंकारी मिशन ‘‘एक ज्योति है सबके अन्दर, नर है चाहे नारी है‘‘ के मूल सिद्धांत को महत्व देता है। वहीं आरती ने भी मथुरा की प्रथम महिला प्रचारिका माता रामकौर जी के प्रेरक जीवन की झलकी प्रस्तुत की और बेटियों को सत्संग से जोड़ने पर बल दिया।