इतना तो अंग्रेजों ने भी भारतीयों को नहीं बांटा, जितना जातियों की राजनीति करते हुए चंद लोगों ने बांट दिया। इन लोगों को घर, समाज, देश से बाहर का रास्ता दिखाइए। ये समाज में जाति का जहर घोल रहे हैं।
देवकीनंदन ठाकुर का कहना है कि जो लोग ये सोच रहे हैं कि किसी पार्टी को वोट देने के बजाय नोटा का आॅप्शन चुना जाए तो ऐसे लोगों को समझना होगा कि नोटा कोई विकल्प नहीं है। ऐसे में जिसको ज्यादा वोट मिलेंगे, वो पार्टी प्रत्याशी जीत जाएगा। इसके स्थायी समाधान पर जाना है, जो हम देंगे। दो माह का वक्त है सरकार के पास, या तो एक्ट को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक करे या फिर हम वो करेंगे जो देश में कभी नहीं हुआ।
कथावाचक का कहना है कि एससी/एसटी वर्ग के लोग हमारे दुश्मन नहीं हैं। हमारे दुश्मन वो नेता हैं, जिन्होंने हम लोगों को बांटने का काम किया है। बल्कि मैं तो इस वर्ग के लोगों को ऐसे नेताओं से सावधान कर रहा हूं कि वो इनका सिर्फ उपयोग करेंगे। हर एससी-एसटी व्यक्ति को खुद उक्त एक्ट का विरोध करना चाहिए।
भारत में हत्या, घोटाले के अपराध में जमानत का प्रावधान है लेकिन इस एक्ट में सरकार ने ऐसा इंतजाम कर दिया है कि जिस पर ये केस लगेगा, उसे पहले 6 महीने के लिए ससुराल (जेल) जाना पड़ेगा। पाकिस्तान तक में ऐसा कोई कानून नहीं है।
देवकीनंदन का कहना है कि हम सब एससी/एसटी एक्ट के विरोध में आंदोलन करेंगे, लेकिन कहीं भी एक चवन्नी का भी नुकसान नहीं करेंगे क्योंकि ये देश और इस देश की संपत्ति व लोग हमारे हैं।
सरकार में बैठे लोग बेशक कानून बनाते हों, लेकिन ये जान लो कि इन कानून बनाने वालों को सरकार हम बनाते हैं। इन चौकीदारों को तो हमने देश की सत्ता चलाने के लिए भेजा है। सरकार हमारी है और बाकी 2019 में पता चल जाएगा कि सरकार किसकी होती है।
मैं नेता नहीं हूं, मुझे आग लगाना नहीं आता और न बंद कराना आता है। मुझे सिर्फ एक बात आती है कि हमें मिलकर देश को सुरक्षित रखना है।