चंपत राय ने बताया कि मंदिर के नींव बनाने का काम शनिवार को पूरा हो गया। मंदिर में नींव 12 मीटर गहरी है, जबकि गर्भ गृह में 14 मीटर। चट्टान रूपी नींव में लोहे के एक तार का भी प्रयोग नहीं किया गया। इस नींव के निर्माण में सीमेंट का भी प्रयोग बहुत कम किया है। इसमें आईआईटी मद्रास द्वारा बताए गए मिश्रण का प्रयोग किया है। इसमें 98% घनत्व पर कंक्रीट डाली है। इसमें 1-1 मीटर पर लेयर हैं। गर्भ गृह में 56 व बाहर 48 लेयर हैं। यह काम 9 महीने में पूरा हुआ। उन्होंने कहा कि अगले हफ्ते से फर्श ऊंचा करने का काम शुरू हो जाएगा। फर्श ऊंचा करने के लिए 5×3×2.5 फ़ीट के 17 हजार ग्रे नाईट के पीस लगाए जाएंगे। यह फर्श करीब साढ़े 6 मीटर ऊंचा उठाया जाएगा। 6 महीने में यह काम पूरा होने के बाद जून से मंदिर निर्माण का काम शुरू हो जाएगा।
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कथक सम्राट बिरजू महाराज की अस्थियां मोक्षदायिनी काशी में गंगा में विसर्जित 2.75 एकड़ में मंदिर का निर्माण होगा। इसके बाद साढ़े 6 एकड़ जमीन को कवर करते हुए 9 मीटर मोटी दीवार बनाई जाएगी। यह भविष्य में कभी आने वाले भूकम्प और जल प्रलय को देखते हुए बनाई जा रही है। पूरे मंदिर निर्माण में 17 लाख घन फ़ीट पत्थर लगेगा। इसमें ग्रे नाईट कर्नाटक से, मंदिर का पत्थर भरतपुर की बयाना तहसील से और मकराने की चौखट लगेंगी। जबकि परकोटे का पत्थर जोधपुर से मंगाया जा सकता है।
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UP Assembly Election 2022: राम लहर में यहां खुला था बीजेपी का खाता, अब सपा-बसपा का दबदबा कृष्ण जन्मभूमि पर बोले- एक पैर जमने के बाद रखेंगे दूसरा पैर मथुरा में श्री कृष्ण जन्मस्थान को लेकर चल रही गहमा-गहमी के बीच विहिप का क्या स्टैंड रहेगा? इस सवाल पर चंपत राय ने गोलमोल जवाब देते हुए बताया की अभी बारिश का समय है, कीचड़ है, फिसलन का डर रहता है। एक पैर जम जाए तब दूसरा पैर रखा जाएगा। विहिप नेता ने बताया कि मंदिर निर्माण के बाद अयोध्या में सामान्य दिनों में प्रतिदिन 50 हजार श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। जबकि पर्वों पर यह संख्या दो से ढाई लाख पहुंच सकती है। मंदिर निर्माण में यात्रियों की भविष्य में आने वाली संख्या का ख्याल रखा जा रहा है।