हैरिस एस ट्रूमन ( 1945-53 ) ( डेमोक्रेटिक पार्टी )
दूसरे वल्र्ड वॉर के दौरान हैरिस एस ट्रूमन अमरीका के राष्ट्रपति बने थे। दौरान उन्हें एक रिसेशन का भी सामना करना पड़ा। अपने कार्यकाल में उन्होंने दो इकोनॉमिक रिफॉर्म भी किए थे। पहला उन्होंने मिनिमम वेज में बढ़ोतरी की थी। वहीं उन्होंने सभी कर्मचारियों को बराबर अधिकार देने का वादा भी किया था। शेयर बाजार में 87 फीसदी का रिटर्न हासिल किया था।
डी आइजनहावर ( 1953-61 ) ( रिब्लिकन पार्टी )
रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति डी आइजनहावर देश के काफी लोकप्रिय राष्ट्रपतियों में से एक रहे हैं। उनके आठ साल के कार्यकल के दौरान देश के 3 मंदियों का सामना किया, लेकिन उन्होंने मॉनेटरी पॉलिसी और ब्याज दरों पर फेड रिजर्व के इस तरह के फैसले लिए, जिससे शेयर बाजार में तेजी बरकरार रही। उनके कार्यकाल के दौरान बाजार निवेशकों को 129 फीसदी का रिटर्न हासिल हुआ।
जॉन एफ केनेडी ( 1961-63 ) ( डेमोक्रेटिक पार्टी )
जब जॉन एफ केनेडी राष्ट्रपति बने उनके सामने गिरी हुई इकोनॉमी और 6.8 फीसदी की बेरोजगारी दर थी। जिसे सुधारने के लिए उन्होंने बोल्ड कदम उठाने शुरू किए। उन्होंने अपनी हत्या से पहले बोल्ड डोमेस्टिक प्रोग्राम शुरू किया। उन्होंने इनकम टैक्स रेट में कटौती और कॉरपोरेक्ट टैक्स को भी कम किया। केनेडी का कार्यकाल काफी कम रहा। ऐसे में निवेशकों को 16 फीसदी की रिटर्न मिल सका।
लिंडन बी जॉनसन ( 1963-69 ) ( डेमोक्रेटिक पार्टी )
केनेडी के बाद एक बार फिर से डेमोक्रेटिक पार्टी का ही रारूट्रति बना। लिंडन बी जॉनसन ने केनेडी के बचे दो सालों के अलावा एक और कार्यकाल पूरा किया। इस दौरान नई प्राइवेट कंपनियां बाजार में उतर रही थी। वियतनाम के साथ वॉर भी शुरू हो गया था। राहत इस बात की थी कि कोई मंदी का सामना नहीं करना पड़ रहा था। इस दौरान फेड रिजर्व ने ब्याज दरों को कम किया था। वहीं कोई आर्थिक बदलाव भी देखने को नहीं मिला। बाजार निवेशकों को इनके कार्यकाल के दौरान सिर्फ 46 फीसदी रिटर्न हासिल हुआ।
रिचर्ड निक्सन ( 1969-74 ) ( रिब्लिकन पार्टी )
अमरीकी इकोनॉमी के लिए रिचर्ड निक्सन का कार्यकाल सबसे खराब दौर में गिना जाता है। जब वो राष्ट्रपति बने तो महंगाई अपने चरम पर पहुंची थी। इकोनॉमी ग्रोथ रेट काफी धीमा था। बेरोजगारी दर काफी बढ़ी हुई थी।निक्सन ने रिब्लिकनल विचारधारा के विपरीत जाते हुए महंगाई से लडऩे के लिए भत्तों और कीमतों को फ्रीज कर दिया। 1973 में क्रूड ऑयल की कीमतें आसमान पर पहुंच गई और निक्सन पर वॉटरगेट स्कैंडल सामने आ गया। जिसके वजह से बाजार क्रैश हो गया। 16 महीनों की मंदी झेलनी पड़ी। इस दौरान निवेशकों को 0 से नीचे -20 फीसदी का रिटर्न यानी नुकसान उठाना पड़ा।
जिमी ई कार्टर ( 1977-81 ) ( डेमोक्रेटिक पार्टी )
निक्सन के आखिरी दो सालों के टेन्योर को गेलाल्ड फोर्ड ने पूरा किया। उसके बाद डेमोक्रैट जिमी ई कार्टर देश के राष्ट्रपति बने। यह अमरीकी इकोनॉमी के लिए सबसे मुश्किल सालों में से एक था। जब कार्टर राष्ट्रपति तो देश मंदी, महंगाई, बेरोजगारी के दलदल में था। इस दौरान सोने के दाम 800 डॉलर प्रति ओंस पर पहुंच गए थे। फेड ने ब्याज दरों को बढ़ा दिया था। इस दौरान बाजार निवेशकों को 28 फीसदी का रिटर्न हासिल हुआ।
रोनाल्ड रीगन ( 1981-89 ) ( रिब्लिकन पार्टी )
रोनाल्ड रीगन के दौर में भी अमरीकी अर्थव्यवस्था ने मंदी का सामना किया, लेकिन इस बार रिब्लिकन पार्टी ने देश की इकोनॉमी को बाजार को संभाले रखा। महंगाई से लडऩे के लिए एक ही इलाज था, ब्याज दरों में इजाफा। जिसकी वजह से अमरीकी ट्रेजरी यील्ड 16 फीसदी से ज्यादा बढ़ गई। इकोनॉमी जब रिबाउंड होने के बाद फेड ने मॉनेटरी पॉलिसी को टाइट रखा। जिसकी वजह से बाजार में तेजी बरकरार रही। इस दौरान बाजार निवेशकों को 117 फीसदी का रिटर्न हासिल किया।
जॉर्ज बुश सीनियर ( 1989-93 ) ( रिब्लिकन पार्टी )
1989 को जॉर्ज बुश देश के राष्ट्रपति बने। उसके बाद ईरान द्वारा कुवैत पर युद्घ छेडऩे से तेल की कीमततें आसमान छू गई। बाजार धड़ाम हो गया। फेड रिजर्व ने महंगाई को कम करने के लिए एक बार फिर से ब्याज दरों में इजाफा किया। जॉर्ज बुश टेन्यार के आखिरी दौर में बिल क्लिंटन कैंपेन शुरू हो गया था। इस दौरान बाजार निवेशकों को मिलने वाला रिटर्न 50 फीसदी से कम ही रहा।
विलियम जे क्लिंटन ( 1993-2001) ( डेमोक्रेटिक पार्टी )
अमरीका के सबसे विवादित और बाजार निवेशकों के सबसे चहेते राष्ट्रपति में से एक विलियम जे क्लिंटन। इस कार्यकाल को अमरीकी शेयर बाजार के लिए स्वर्णिम युग कहा जाए तो बड़ी बात नहीं होगी। क्योंकि क्लिंटन के 8 साल के कार्यकाल में बाजार निवेशकों को 210 फीसदी का रिटर्न हासिल किया है। इस दौरान गूगल और अमेजन जैसी कंपनियों ने बाजार को बूस्ट करने का काम किया। समय-समय पर फेड द्वारा ब्याज दरों में इजाफा होने का भी बाजार को फायदा मिला।
जॉर्ज बुश जूनियर ( 2001-09 ) ( रिब्लिकन पार्टी )
जॉर्ज बुश जूनियर के कार्यकाल को अमरीकी इकोनॉमिक इतिहास में सबसे बुरा दौर कहना गलत नहीं होगा। इस दौरान सिर्फ इकोनॉमी ही डाउन नहीं हुई, बल्कि शेयर मार्केट भी क्रैश हुआ। इस दौरान दो इकोनॉमिक क्राइसिस या यूं कहें कि रिसेसशन अमरीका को झेलने पड़े। जिसमें एक एक महामंदी भी शामिल रही। इस दौरान शेयर बाजार निवेशकों को -40 फीसदी का रिटर्न देखने को मिला। जो अमरीकी इतिहास में सबसे खराब प्रदर्शन है।
बराक ओबामा ( 2009-17 ) ( डेमोक्रेटिक पार्टी )
अमरीकी इतिहास में सबसे बेहतरीन राष्ट्रपतियों की फेहरिस्त में बराब ओबामा का नाम टॉप 5 में लिया जाएगा। इस बात में इसलिए भी कोई शक नहीं क्योंकि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान अमरीका महामंदी से निकालने के बाद कम ब्याज दरों में रहते हुए देश की कमाई में इजाफा किया। उनके कार्यकाल के दौरान बाजार ने कई कीर्तिमान बनाए और बाजार निवेशकों को 182 फीसदी का रिटर्न दिया। ऐसे में इकोनॉमी के लिहाज से क्लिंटन के बाद ओबामा के कार्यकाल को सबसे अच्छा माना जाता है।
डोनाल्ड ट्रंप ( 2017 से अब तक ) ( रिब्लिकन पार्टी )
जब डोनाल्ड ट्रंप देश के राष्ट्रपति बने उन पर कम ब्याज दरों के साथ देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को बनाए रखने का जबरदस्त चैलेंज था। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने चीन के साथ ट्रेड वॉर शुरू किया। जिसका असर अमरीकी शेयर बाजार पर पड़ा। उसके बाद अमरीका में कोरोना वायरस महामारी का फैलाव हुआ। जिसकी वजह से लॉकडाउन लगाना पड़ा। इस दौरान मार्केट क्रैश हुआ। खैर कुछ अमरीकी कंपनियों की वजह से जल्द ही रिकवरी भी देखने को मिली। ट्रंप के कार्यकाल के दौरान बाजार निवेशकों को 43 फीसदी का रिटर्न मिला है।