मप्र के रतलाम सहित मंदसौर जिले के कई गांवों में स्क्रब टाइफस के मरीज सामने आए हैं। भोपाल से रिपोर्ट में बीमारी की पुष्टि होने के बाद पूरे स्वास्थ्य महकमे को अलर्ट कर दिया गया है। रिपोर्ट में 12 मरीजों में बीमारी की पुष्टि हुई है। इसमें चार मरीज उदयपुर और कोटा में भर्ती हैं। उनकी रिपोर्ट भी इनमें शामिल है। मरीज अलग-अलग गांवों के बताए गए हैं। इनमें 10 मरीज मंदसौर जिले के तो दो मरीज रतलाम जिले के गांवों से हैं। ये मरीज अलग-अलग गांवों के रहने वाले हैं, इसके चलते संबंधित गांवों के लिए अटर्ल भी जारी किया गया है।
इससे पहले स्वाइन फ्लू के मरीज भी दोनों जिले में सामने आए है। मरीजों में बीमारी की पुष्टि होने के बाद स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है। प्रभावित गांवों का सर्वे भी शुरू कर दिया गया है। पिछले वर्ष भी जिले में 79 मरीज स्क्रब टाइफस के पॉजिटिव मिले थे। वहीं दूसरी और मंगलवार को रतलाम में स्वाइन फ्लू के एक और संदिग्ध मरीज का सैंपल लिया गया है, जिसे जांच के लिए बुधवार को भोपाल भेजा जाएगा।
जानलेवा है स्क्रब टाइफस स्क्रप टाइफस एक प्रकार की संक्रामक बीमारी है। यह जंगली घास में रहने वाले कीड़ों में पलने वाले पिस्सु की वजह से फैलता है। सू-सू गामोशी नामक कीटाणु के संक्रमण से यह बुखार होता है। इसकी जांच इंदौर या अन्य बड़े शहरों में होती है। यदि इसका समय पर इलाज और पहचान नहीं किया जाए तो ये बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है।
स्क्रब टाइफस के लक्षण आईडीएसपी यूनिट से मिली जानकारी के अनुसार स्क्रब टाइफस बुखार के लक्षण सिरदर्द होना। सर्दी लगना, बुखार, शरीर में दर्द तथा पांचवे दिन के बीच शरीर पर लाल दाने निकलने जैसे लक्षण होते है। इसमें बुखार सात से लेकर 12 दिन तक रहता है। बेहोशी और ह्दय संबंधी समस्या सामने आती है। गहरे लाल रंग के ये दाने दो से लेकर पांच मिलीमीटर तक के होते है। यह रोग कम उम्र के लोगों के लिए खतरनाक नहीं होता है लेकिन 40 वर्ष से ऊपर की आयु के पचास प्रतिशत रोगी एवं 60 वर्ष से ऊपर के मरीज के लिए यह बहुत खतरनाक होता है।
स्क्रब टाइफस से बचाव के उपाय यह रोग ज्यादातर बारिश के दिनों में चूहों में चिपके कीड़ों के माध्यम से फैलता है। इसलिए सबसे जरूरी है कि आस-पास झाडिय़ां और जंगली घास ना पनपे। घर के पास मवेशी बंधते हैं तो वहंा पर साफ सफाई रखें। मवेशियों का समय-समय पर पशु चिकित्सकों से परीक्षण करवाएं। कीड़ों को नष्ट करवाएं।