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मंडला

इस बार 38 किमी की होगी उत्तरवाहिनी नर्मदा परिक्रमा, महाराजपुर संगम से होगी शुरुआत

एक तट 19 किमी की परिक्रमा

मंडलाMar 14, 2023 / 09:43 pm

Mangal Singh Thakur

इस बार 38 किमी की होगी उत्तरवाहिनी नर्मदा परिक्रमा, महाराजपुर संगम से होगी शुरुआत

इस बार 38 किमी की होगी उत्तरवाहिनी नर्मदा परिक्रमा, महाराजपुर संगम से होगी शुरुआत

मंडला. नर्मदा परिक्रमा को लेकर शास्त्रों में एक प्रावधान यह भी किया गया है कि जो कोई भी मां नर्मदा की परिक्रमा किसी कारणवश चाहते हुए भी न कर पा रहा हो तो वह व्यक्ति उत्तरवाहिनी मां नर्मदा परिक्रमा कर इस पुण्य लाभ को प्राप्त कर सकता है। यह जिलेवासियों का सौभाग्य है कि मां नर्मदा जिले को तीन ओर से घेरते हुए मंडला से कल-कल करती आगे बढ़ रही है। इसी के साथ जिले में उत्तरवाहिनी नर्मदा परिक्रमा तट भी स्थित है। जिससे नर्मदा नगरी का महत्व और बढ़ जाता है। पंडित नीलू महाराज का कहना ै कि अमरकंटक से मां नर्मदा का उद्गम होता है और खंबात की खाड़ी तक मां नर्मदा प्रवाहित होती है, इस पूरे मार्ग में तीन स्थान ऐसे हैं जहां मां रेवा उत्तर दिशा में प्रवाहित हुई हैं। जहां-जहां मां नर्मदा उत्तर दिशा में प्रवाहित हुई उतने क्षेत्र की परिक्रमा करने का प्रावधान शास्त्रों में बताया गया है और यह परिक्रमा वर्ष में सिर्फ एक माह में ही की जाती है वह है चैत्र का माह। जिसको लेकर नर्मदा भक्तों ने तैयारी शुरू कर दी है। 18 मार्च को महाराजपुर संगम से सुबह परिक्रमा प्रारंभ होगी जो शाम को घाघा-घाघी घाट पहुंचेगी। जहां रात्रि विश्राम होगा। रात्रि विश्राम के दौरान प्रयास यह किया जा रहा है कि पूरी रात धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन हो सके। सुबह नित्यक्रिया से निवृत्त होकर स्नान के बाद घाघी घाट से पार होकर ग्वारी तट पर परिक्रमा पहुंचेगी और वहां से फूलसागर, तिंदनी होते हुए कटरा आएगी। इसके बाद नगर से होते हुए किले घाट स्थित व्यास नारायण मंदिर में परिक्रमा का समापन किया जाएगा।

तीन स्थानों में उत्तरवाहिनी परिक्रमा

जानकारी अनुसार विगत दिनों नर्मदा परिक्रमा पर निकले पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के गुरू श्रृद्धेय विवेक का मंडला आगमन हुआ था, उन्होंने सत्संग के दौरान उत्तरवाहिनी परिक्रमा पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि क्यों मां नर्मदा ने कभी उत्तर दिशा और कभी दक्षिण दिशा की ओर प्रवाह किया। इसके आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारणों को भी उन्होंने विस्तार से बताया। पूरे नर्मदा क्षेत्र में 3 स्थान ऐसे हैं जहां माँ नर्मदा उत्तरवाहिनी हुई हैं, इनमें से एक गुजरात प्रदेश में तिलकवाड़ा, दूसरा क्षेत्र मंडला और तीसरा ओमकारेश्वर के पास का स्थान है जो कि अब बांध बन जाने से डूब क्षेत्र में आकर विलोपित हो गया है। गुजरात के तिलकवाड़ा में उत्तरवाहिनी परिक्रमा वर्षो से की जा रही है। यह आयोजन उस क्षेत्र का बहुत बड़ा आयोजन होता है। जिसके लिए शासन द्वारा बसों का प्रबंध लोगों के आने-जाने के लिए विशेष रूप से किया जाता है। पूरे परिक्रमा मार्ग पर अब बड़े-बड़े दर्शनीय मंदिरों का और आश्रमों का निर्माण हो चुका है। परिक्रमा करने वाला व्यक्ति इन मंदिरों और धार्मिक स्थलों का दर्शन करते हुये परिक्रमा करता है, यह परिक्रमा पूरे चैत्र माह में जारी रहती है।

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