scriptये है चंदेहरा गांव का प्राथमिक स्कूल, झोपड़ी में गढ़ा जा रहा ‘देश का भविष्य’ | This is the primary school of Chandehra village, the 'future of the | Patrika News
मंडला

ये है चंदेहरा गांव का प्राथमिक स्कूल, झोपड़ी में गढ़ा जा रहा ‘देश का भविष्य’

अव्यवस्था : जिले के 334 स्कूल जर्जर, 95 सुधारने योग्य भी नहीं

मंडलाDec 11, 2022 / 05:21 pm

Mangal Singh Thakur

ये है चंदेहरा गांव का प्राथमिक स्कूल, झोपड़ी में गढ़ा जा रहा ‘देश का भविष्य’

ये है चंदेहरा गांव का प्राथमिक स्कूल, झोपड़ी में गढ़ा जा रहा ‘देश का भविष्य’

मंडला. ग्रामीण क्षेत्र के बच्चाें को जान जोखिम में डाल कर पढ़ाई करनी पड़ रही है। कहीं जर्जर भवन की छत गिर रही है तो कहीं भवन छोड़कर झोपड़ी में शिक्षा लेनी पड़ रही है। लचर शिक्षा व्यवस्था के चलते ग्रामीण अंचलों में हालात ऐसे हैं जहां स्कूल संचालित हैं लेकिन भवन नहीं है, कहीं शिक्षक नहीं है, तो कहीं विकासखंड मुख्यालयों में अधिकारी नहीं रहते। जिले में प्राथमिक व माध्यमिक 334 शालाएं ऐसी हैं, जो जीर्णशीर्ण अवस्था में है। पिछले साल 219 भवन मरम्मत के योग्य थे इस साल इनकी समस्या 300 पार हो गई है। लेकिन अब तक मरम्मत के लिए शिक्षा विभाग के पास कोई राशि नहीं पहुंची है। भवन की स्थिति खराब होने का कारण कोविड काल भी बताया जा रहा है। कोविड काल के बाद से भवन मरम्मत के लिए शाला को राशि नहीं भेजी गई है। जिससे स्थिति खराब होती जा रही है। हालत यह है कि किराये व पंचायत के अन्य भवन में एक कमरे में 5 कक्षाएं लगानी पड़ रही है। हर शाला में औसत 50 बच्चों की संख्या मानी जाए तो 15 हजार विद्यार्थियों का भविष्य अंधकार में है। नारायणगंज, घुघरी, मवई में शिक्षकों की कमी तो पहले से ही बनी हुई अब भवन ना होने से भी पढ़ाई व्यवस्था चौपट नजर आ रही है।
चंदेहरा जिपं सदस्य ने किया दौरा

क्षेत्र भ्रमण दौरान जिला पंचायत सदस्य इंजीनियर भूपेंद्र वरकडे़ नारायणगंज विकासखंड के चंदेहरा गांव पहुंचे। यहां अध्ययन करने वाले बच्चों की स्थिति देखी। यहां की तस्वीरें देखकर आप भी खुद अंदाजा लगा सकते हैं कितनी गंभीर स्थिति में यहां के बच्चे शिक्षा अध्ययन करने को मजबूर हैं। खुले मौसम में तो जैसे तैसे पढ़ाई चल जाती है। बारिश में स्कूल लगाना मुश्किल हो जाता है। बताया गया कि प्राथमिक शाला संचालित है परंतु भवन कई साल पहले टूट चुका है। वर्तमान में झोपड़ी में संचालित हो रही है। जिपं सदस्य भूपेन्द्र वरकड़े ने बताया कि जिला पंचायत की बैठक दौरान शिक्षा व्यवस्था की जानकारी के अनुसार हर साल इन स्कूली की जानकारी शासन को भेजी जाती है, पर नतीजा अब तक शून्य या महज सिर्फ 2 प्रतिशत कार्य स्थिति है। जिला प्रशासन को शिक्षा जैसे गंभीर मुद्दे पर पूरी ईमानदारी व गंभीरता से कार्य करना चाहिए, वहीं सरकार को भी ग्रामीण क्षेत्रों की शिक्षा व्यवस्था आवश्यकता शीघ्र पूरी करनी चाहिए।
लंबे समय से मरम्मत के लिए नहीं आई राशि

डीपीसी बीपी ठाकुर का कहना है कि जिले 95 जर्जर स्कूल भवनों को गिराने के लिए पीडब्ल्यूडी को सूची जारी की गई है। शिक्षकों को भी निर्देश दिए गए हैं कि बच्चों को सुरक्षित स्थान पर बिठाया जाए। चंदेहरा स्कूल में पुराना भवन है जो मरम्मत के योग्य है। जिसकी जानकारी पीडब्ल्यूडी विभाग को दी गई है स्वीकृति मिलने पर मरम्मत कराया जाएगा। लंबे समय से कोविड के कारण रंग रोगन व मरम्मत के लिए राशि जारी नहीं हुई है।

Hindi News / Mandla / ये है चंदेहरा गांव का प्राथमिक स्कूल, झोपड़ी में गढ़ा जा रहा ‘देश का भविष्य’

ट्रेंडिंग वीडियो