मां नर्मदा की भक्ति से मिली रोशनी
39 वर्षीय सलीम तीन भाईयों में से एक है। जब सलीम चौथी कक्षा का पढ़ाई कर रहा था तभी आंख में धूल चले जाने से रोशनी चली गई। तमाम कोशिशें की, खूब इलाज कराया, लेकिन आंखों की रोशनी नहीं आई। एक दिन उनके गांव में रहने वाले जनार्दन गिरी के शिष्य ने उनसे कहा कि तुम हमारे गुरूजी के पास चलो, फिर सलीम महामंडलेश्वर शांतिगिरी से मिले। वर्ष 2005 में शांतिगिरी महाराज मौन धारण किए हुए थे। सलीम ने बताया कि मैंने शांतिगिरी महाराज के सामने आंखों की रोशनी वापस लाने की बात रखी। महाराज के कहने पर सलीम ने 21 दिन तक उपवास रखा। शुद्ध शरीर करने के बाद वो महाराज सलीम को ओंकारेश्वर ले गए। यहां सलीम से 8 दिनों तक नर्मदा माई के नाम का जप कराया। उसके बाद पूजा पाठ कराई। इसके बाद वर्ष 2005 में ही उनकी आंखकी रोशनी वापस आ गई। इस दौरान लगभग 14 साल अंधे रहे।
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सलीम ने बताया कि घर के लोग विवाह के लिए दबाव भी बनाया लेकिन वे अब सन्यासी का जीवन जीना चाहते हैं। यही कारण है कि दूसरी बार मां नर्मदा की परिक्रमा में निकल आए हैं। सलीम बताते है कि तीसरी परिक्रमा तीन साल 3 माह 13 दिन की करेंगे। सूरज कुंड में अन्य परिक्रमा वासियों के साथ विश्राम करने के बाद आगे की परिक्रमा के लिए निकलेंगे। सलीम का नर्मदा भक्तों के द्वारा जगह-जगह स्वागत भी किया जा रहा है।