बारिश के पानी को करें सरंक्षित
रूफ -हार्वेस्टिंग सिस्टम से संरक्षित होता है लाखों लीटर पानी हजारों की आबादी वाले शहर में महज दर्जनों मकानों में ही है रूफ-हार्वेस्टिंग सिस्टम
बारिश के पानी को करें सरंक्षित
मंडला. शहरी व आवासीय क्षेत्र में भू-जलस्तर बढ़ाने का एक मात्र स्रोत रूफ हार्वेस्टिंग सिस्टम है, इसके माध्यम से बारिश के दिनों में लाखों लीटर पानी संरक्षित किया जा सकता है। जिससे न सिर्फ कुएं, ट्यूबवेल, हैंडपंप का जलस्तर सुधरेगा, बल्कि जिले वासियों को भी भविष्य में पानी की कमी से जूझना नहीं पड़ेगा। लेकिन शासन द्वारा लाख जतन करने के बावजूद भी जागरूकता के अभाव में लोगों की रूफ हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने में रूचि न के बराबर है।
गौरतलब है कि शहरी क्षेत्र में सड़कों के कारण बारिश का पानी जमीन में नहीं पहुंचता है। बारिश में जितना भी पानी आता है वह नालियों के माध्यम से सीधे नालों या नदियों की ओर रूख कर लेता है। ऐसे में शहरी क्षेत्र का भू-जलस्तर नहीं सुधर पाता है। इस कारण क्षेत्र में भू-जलस्तर बढ़ाने के लिए रूफ हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाना बहुत जरूरी है ताकि शहरी क्षेत्र का भू-जलस्तर सुधरे।
1 हजार फीट के मकान से सरंक्षित होता है सवा लाख लीटर पानी
अगर कोई व्यक्ति अपने एक हजार स्क्वायर फीट के मकान की छत पर रूफ हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाता है तो करीब 35 ईंच बारिश होने पर सवा लाख लीटर पानी संरक्षित हो जाता है। इसलिए लोगों को जागरूक होकर बारिश के पूर्व अपने अपने घरों में रूफ -हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाना चाहिए। ताकि क्षेत्र का भू-जलस्तर ऊपर आ जाए।
इस प्रकार लगता है सिस्टम
बारिश के पानी को जमीन में संग्रहित करने के लिए व्यक्ति को अपने मकान की छत का ढाल इस प्रकार देना पड़ता है, जिससे की छत पर गिरने वाला बारिश का पूरा पानी एक साईड ही आए, उसी साईड एक पाईप लगाया जाता है जो जमीन तक पहुंचाया जाता है। जमीन में गड्डे खोदकर उसमें ईंट, गिट्टी, रेत आदि डालकर सोखता गड्डा बनाकर उसमें पाईप का पानी छोड़ा जाता है। ताकि बारिश के पानी का पूर्ण रूप से जल संरक्षण हो सके।
नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग मंत्रालय द्वारा 2009 में समस्त नगर निगम, नगरपालिका, नगरपरिषद और नगर पंचायत को मध्यप्रदेश भूमि विकास अधिनियम की धारा 78(4) के अनुसार 140 वर्ग मीटर या उससे अधिक क्षेत्रफल वाले भूखंड पर भवन निर्माण में रूफ हार्वेस्टिंग सिस्टम का प्रावधान किया गया। जिसके तहत भवन निर्माण की अनुमति देते समय ही सिस्टम लगाने की शर्त भी रखी जाती है। भवन की अनुमति प्रदान करते समय भूखंड के आकार के आधार पर रूफ हार्वेस्टिंग सिस्टम की धरोहर राशि जमा करवाई जाती है। यह राशि मकान मालिक को तभी लौटाई जाती है, जब भवन निर्माण के साथ ही रूफ हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाने की सूचना संबंधित व्यक्ति नपा को देता है, इसके बाद नपा मौके पर पहुंचकर भौतिक सत्यापन करने के बाद अमानत राशि लौटाती है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र में भू-जलस्तर को बढ़ाने के लिए लोगों को जागरूक करना है।
इस प्रकार जमा करवाई जाती है धरोहर राशि
भवन का क्षेत्रफल धरोहर राशि
140 वर्ग मीटर से 200 वर्ग मीटर तक 7,000
200 वर्ग मीटर से 300 वर्ग मीटर तक 10,000
300 वर्ग मीटर से 400 वर्ग मीटर तक 12,000
400 वर्ग मीटर से अधिक 15,000
शहरी क्षेत्र में जल संरक्षण का सबसे अच्छा तरीका रूफ हार्वेस्टिंग सिस्टम है, वर्ष 2009 से अभी तक मकानों को निर्माण अनुमति इसी आधार पर दी जाती है कि वे अपने घरों की छतों पर रूफ हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाएं, चूकि उनकी धरोहर राशि जमा रहती है, इस कारण यह निश्चित रूप से सिस्टम लगवाते हैं। इसी के साथ अन्य लोगों में भी अब जागरूकता आने लगी है वे अपने घरों पर रूफ हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाने लगे हैं।
पूर्णिमा शुक्ला, अध्यक्ष नगरपालिका मंडला
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