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वजह जो भी हो, लेकिन…
जिला मुख्यालय से 8 किलोमीटर दूर माली मोहगांव में भी जो नजारा देखने को मिला, वो किसी गुरुकुल से कम नहीं था। यहां भी कुछ छात्र बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई कर रहे थे, तो कुछ स्कूल की साफ-सफाई में जुटे हुए थे। सवाल ये हैं कि, क्या ये छात्र कोरोना काल के दौर में अपने घरों से स्कूल यूनिफॉर्म पहनकर अपनी स्वेच्छा से सफाई करने आए थे? अगर ये अपनी स्वेच्छा से सफाई कर भी रहे थे, तो किसी जिम्मेदार ने इन्हें रोका क्यों नहीं? या इन्हें पढ़ाई छोड़कर सफाई का काम सौंपा गया था? वजह जो भी हो, ये तो साफ है कि, स्कूल प्रबंधन ने शासन के नियमों को ताक पर रख दिया है।
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फिर भी किया जा रहा स्कूल का संचालन
प्राचीन काल में गुरूओं को दक्षिणा मिलती थी जिससे गुरुकुल का संचालन होता था। लेकिन अब स्कूल के संचालन के लिए शिक्षकों को वेतन मिलता है इसके साथ स्कूल के रख रखाव के लिए भी अलग से राशि जारी की जाती है। इसके बाद भी शिक्षकों के आदेश पर बच्चों से काम कराया जा रहा है। कोरोना संक्रमण काल में प्राथमिक व माध्यमिक स्कूल बंद है। शासन के निर्देश के अनुसार, मोहल्ला क्लास लगाई जा रही है। फिर भी प्राथमिक शाला मालीमोहगांव में स्कूल का संचालन किया जा रहा है।
पत्रिका की पड़ताल में आया सामने
पत्रिका द्वारा की गई पड़ताल में सामने आया कि, शाला में पढ़ने वाले सभी 58 बच्चों को रोजाना स्कूल बुलाया जा रहा है। सुबह 10.30 बजे से 1.30 बजे तक कक्षाएं भी संचालित की जाती हैं। लंबे समय बाद स्कूल खुलने से स्कूल की सामग्री अस्त-व्यस्त हो गई है, साथ ही जगह जगह गंदगी पसरी हुई है, जिसे जिसे साफ करने की जिम्मेदारी पढ़ने आए छात्रों को ही सौंप दी गई। मालीमोहगांव स्कूल में बच्चों से स्कूल की पेटी पानी से धूलावाई जा रही थी, जैसे ही पत्रिका की टीम मौके पर पहुंची कैमरा देखते ही शिक्षक सक्रिय हो गए और धीरे से बच्चों को काम बंद करने की आवाजें लगाने लगे। लेकिन, बच्चे तो बच्चे होते हैं, वो आधा काम बीच में छोड़ने को तैयार नहीं थे और शिक्षकों के मना करने के बाद भी पेटी की सफाई करते रहे। कुछ पेटियां पहले से ही धुलकर रखी हुई थीं।
मोहल्ला क्लास का नाम, समूह में बैठ रहे बच्चे
बातचीत के दौरान स्कूल के शिक्षकों ने बताया कि, शासन के निर्देश के बाद जिन स्कूलों में मैदान और बाहर बैठने की सुविधा है, वहां कक्षा लगनी शुरु हो गई है। प्राथ शाला माली मोहगांव में बच्चों को बरगद की छांव के नीचे पढ़ाया जा रहा है। जबकि, कोरोना के नए प्रकरण सामने आने के बाद जिला प्रशासन फिर से सतर्क हो चुका है। इसके बाद भी ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में लापरवाही का नजारा देखने को मिला।
क्या कहता है प्रबंधन?
शाला प्रभारी दशरथ सिंह वालरे का कहना है कि, लंबे समय से स्कूल बंद रहने के कारण पेटी में धूल-मिट्टी जम गई थी, जिसे मजदूर लगाकर साफ कराया जा रहा है। मजदूर दूसरे काम में व्यस्थ था, तो बच्चों उनकी मदद करने लगे।