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रहीस भारतीः कभी जाना चाहते थे फ्रांस, आज 100 देशों में हैं इनके लिए दीवानगी, जानें पूरी कहानी

18 साल पहले जयपुर के रहीस भारती ने धोद बैंड बनाया था, अब तक 1200 से ज्यादा परफॉर्मेंस दे चुके हैं, बैंड में 500 से ज्यादा कलाकारों को विदेशी धरती पर परफॉर्म करने का मिला मौका

Nov 05, 2018 / 03:22 pm

सुनील शर्मा

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जयपुर के प्रख्यात तबला वादक रहीस भारती आज न केवल भारत वरन पूरी दुनिया में राजस्थानी संगीत की पहचान बन चुके हैं। पत्रिका से खास बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि हमारी फैमिली म्यूजिक से जुड़ी हुई है, पिता रफीक मोहम्मद और दादा रसूल खां साहब से मैंने तबला सीखा और जयपुर में पढ़ाई करने के साथ-साथ अपनी कला पर भी ध्यान दिया। अपने परिवार के परिवार के लिए कुछ बड़ा करने का सपना मैं हमेशा देखा करता था। पिता के पास फ्रांस और यूरोपियन कंट्री के लोग मेरे पिता से तबला सीखने आया करते थे। उनसे बातचीत के बाद विदेशों में परफॉर्म की ठानी। मेरी रिक्वेस्ट पर फ्रांस से एक स्कूल में तबला सिखाने के लिए आमंत्रित किया गया, लेकिन टिकट के पैसे मुझे खुद ही अरेंज करने को कहा गया, उनकी तरफ से वीजा मिला।
वहां जाने के लिए मैं बहुत उत्सुक था और इसी कारण मैंने ब्याज पर पैसे लेकर अपने प्लेन की टिकट बुक करवाया। यहां से मेरे नए सफर की शुरुआत हुई। यह कहानी है सीकर के म्यूजिक परिवार में जन्में तबला वादक और धोद ग्रुप के फाउंडर रहीस भारती की। पत्रिका की स्पेशल सीरिज मंडे मॉटिवेशन के तहत रहीस भारती ने शेयर किए अपने अनुभव।
तैयार किया फ्यूजन म्यूजिक
फ्रांस के कोर्सिका आइलैंड पर पहुंचने के बाद वहां के स्कूल-कॉलेजों में तबला सिखाना शुरू किया। वहां लोग इंडिया के बारे में ही नहीं जानते थे, ऐसे में तबला जैसी चीज तो बहुत मुश्किल थी। तबले को उन लोगों से जोडऩे के लिए मैंने वहां के कलाकारों के साथ फ्यूजन म्यूजिक तैयार करना शुरू किया और इसके बाद वहां कुछ बड़े फेस्टिवल्स में परफॉर्म किया।
यहां से लोग तबले के बारे में जानने लगे और इसे सीखने के लिए अपनी रुचि दिखाने लगे। इसके चलते वहां इंडियन म्यूजिक और राजस्थानी फोक स्टाइल के प्रसंशक तेजी से बढऩे लगे। यहीं कारण था कि मैंने राजस्थान के म्यूजिक को विदेशी पटल पर लेकर जाने की ठानी। इसके बाद में अपना बैंड बनाने के लिए कोर्सिका छोडक़र वापिस अपनी धरती पर आ गया।
अपने गांव पर बैंड का नाम
पिंकसिटी आने के बाद राजस्थान के कलाकारों के साथ मिलकर एक बैंड बनाने की प्लानिंग की। हम सीकर के एक छोटे से गांव धोद से हैं, ऐसे में बैंड का नाम भी धोद रख दिया। पिता, चाचा और भाई के साथ जैसलमेर, जोधपुर और शेखावाटी कलाकारों के साथ एक ग्रुप बनाया और १८ साल पहले कोर्सिका आयरलैंड पर ही परफॉर्मेंस दी। राजस्थान के फोक म्यूजिक ने विदेशी लोगों को दीवाना बना दिया था। यह नजारा हमारे एक-एक कलाकार के लिए नया था और विदेशी लोगों के मुंह से ‘केसरिया बालम’ शब्द सुनते या ‘खमा घणी’ सुनते ही गर्व से सीना चौड़ा हो गया।
राजस्थानी कल्चरल एम्बेसेडर
हमारा ग्रुप पिछले १८ साल में १०० देशों में लगभग १२०० परफॉर्मेंस दे चुका है और वर्ल्ड में हम राजस्थानी कल्चरल एम्बेसेडर के नाम से पुकारा जाता है। हम दुनियाभर के नामचीन फेस्टिवल्स में रॉक और पॉप स्टार्स के बीच परफार्म करते हैं। हाल ही में अमरीकन पॉप स्टार एलपी ने हमारे साथ केसरिया बालम पर परफॉर्म किया था और उसमें दर्शकों की संख्या २ लाख पार थी। हम क्वीन एलजाबेथ से लेकर पेरिस में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, डायमंड जुबली सेलिब्रेशन लंदन, फ्रांस के राष्ट्रपति और कोर्सिका के प्रधानमंत्री के सामने परफॉर्म कर चुके हैं। हमारा बैंड शनिवार को अमरीका की यात्रा करने के बाद जयपुर पहुंचा है, जिसमें हमने अमरीका के २० शहरों में परफॉर्मेंस दी थी।

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