नन्हीं सुनेहा ने जब पैरेंटस से कहा कि मैं भी पल्लवी जोशी की तरह इंडियन नेवी में जाना चाहती हूं तो वे इसे हंसकर टाल गए। लेकिन बात यही खत्म नहीं हुई। दिन बीतते गए, सीरियल भी खत्म हो गया मगर सुनेहा को जुनून खत्म नहीं हुआ। सुनेहा ने इंडियन नेवी में जाने का सपना देखा था। उन्होंने बताया कि मैं इंडियन नेवी में जाना चाहती थी। इसमें गर्ल्स का सलेक्शन ग्रेजुशन के बाद ही होता है। इसलिए इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया। इस बीच शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया की तरफ से मर्चेंट नेवी का कॉल आया।
सुनेहा ने इसे अपॉर्चूनिटी माना और वर्ष 2003 में कैडेट ट्रेनिंग ली। उस वक्त उन्हें पता चला कि वह कंपनी की पहली लड़की थी। इससे पहले उस फॉर्म पर कोई दूसरा आया ही नहीं था। तभी से आज तक सुनेहा के साथ यही हो रहा है, वह जहां भी जाती हैं, वहीं पहली लड़की होती है। नेवी के तरफ से वह विदेशों में भी काम कर चुकी है। वर्तमान में डेनमार्क की कंपनी में कार्यरत फर्स्ट इंडियन गर्ल हूं। ऐसा करने वाली सुनेहा देश की पहली लड़की बन गई है।
दिया सक्सेस मंत्रा
सुनेहा ने अपना सक्सेस मंत्रा देते हुए कहा कि खुद पर यकीन करो, दुनिया खुद आपको फॉलो करेगी। उन्होंने कहा कि अगर गर्ल्स इस फील्ड पर आना चाहती हैं तो सबसे पहले खुद को लड़कियां न समझे क्योंकि आपको यहां पर वो सारे काम करने होंगे जो यहां कि रिक्वायरमेंट है। नेवी में 8 घंटे की नौकरी नहीं होती, न ही कोई दीवाली-दशहरा होता है। लेकिन अपने आप पर भरोसा रखो और सपनों को जिओ।