ऐसे हुई शुरूआत
डॉ. रौंटिया बताते हैं कि यूनिवर्सिटी के अलावा मैं शहर के कई कोचिंग सेंटर्स में संविधान की पढ़ाई कराता हूं। एक बार मुझे लगा कि जो बच्चे पैसों की कमी के चलते कोचिंग ज्वॉइन नहीं कर पाते, उन तक कैसे नॉलेज पहुंचाया जाए। मेरे माइंड में यूट्यूब का आइडिया आया और मैंने एक अकाउंट खोलकर शुरूआत कर दी। हालांकि शुरूआती दौर पर जरा भी रिस्पांस नहीं मिला। चूंकि मैं स्वामी विवेदानंद के थॉट्स को फॉलो करता हूं। उनका विचार है कि व्यक्ति को हमेशा प्रयासरत रहना चाहिए, नतीजों की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।
टारगेट है 100 JRF क्लियर कराना
डॉ. रौंतिया कहते हैं कि 12 मई को मेरे यूट्यूब चैनल को एक साल हो जाएगा। अगले साल मेरे 100 स्टूडेंट् को जेआरएफ (जूनियर रिसर्च फेलोशिप) क्लियर कराना है। इसकी लास्ट डेट 23 अप्रैल थी लेकिन लेट फीस के साथ ऑनलाइन अप्लाई 27 मई तक किया जा सकता है।
महीने में अर्निंग 20-25 हजार
यूट्यूब चैनल से हर महीने 20-25 हजार रुपए अर्निंग होती है जिसे डॉ. रौटिया जरूरतमंदों पर खर्च करते हैं। उनका कहना है कि असिस्टेंट प्रोफेसर होने के नाते हमारी सैलेरी अच्छी है लेकिन हमारी भी कुछ फर्ज ऐसे बच्चों के प्रति जो टैलेंटेड तो हैं लेकिन फाइनेंशियल प्रॉब्लम के चलते पढ़ाई नहीं कर पाते। यूट्यूब से होने वाली कमाई भी उन्हीं बच्चों पर खर्च करता हूं। चाहे किसी की एग्जाम फीस के तौर पर हो या बुक्स पर।