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साधारण परिवार से निकला टायकून
अजीम प्रेमजी का जन्म 24 जुलाई 1945 को मुम्बई के साधारण बिजनेसमैन मोहम्मद हाशिम प्रेमजी के यहां हुआ था। उनके पिता वेजिटेबल ऑयल व साबुन का बिजनेस करते थे। 1947 में भारत की आजादी और पाकिस्तान के अस्तित्व में आने के बाद देश के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने प्रेमजी परिवार को पाकिस्तान आने और वहां के वित्त मंत्री बनने का ऑफर किया था लेकिन मोहम्मद हाशिम प्रेमजी ने भारत में रहने का निर्णय किया।
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विरासत को संभाला और दी नई दिशा
जब प्रेमजी 21 वर्ष के थे तभी उनके पिता की मृत्यु हो गई। जब वे इंडिया लौटे तो उनके रिश्तेदार व दोस्तों ने बिजनेस छोडक़र नौकरी करने के लिए काफी दबाव बनाया लेकिन प्रेमजी बिल्कुल भी सहमत नहीं हुए। उन्होंने अपने पिता की कंपनी की बागडोर को अपने हाथों में लिया और कंपनी को तरक्की की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उन्होंने अपनी कंपनी का नाम बदलकर 1980 में विप्रो लिमिटेड रख दिया।
मेहनत से बनाई तीसरी बड़ी कंपनी
प्रेमजी ने आईटी सेक्टर में नई शुरुआत की। वह अमरीकन कंपनी सेंटिनल कम्प्यूटर कॉर्पोरेशन के साथ जुड़े और मिनी कम्प्यूटर निर्माण के क्षेत्र में कार्य करने लगे। प्रेमजी ने विप्रो को आज भारत की तीसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी बनाया है। प्रेमजी को समाजसेवा से काफी लगाव रहा है। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में सेवा करने के लिए वर्ष 2001 में अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की स्थापना की।