मनोज का कहना है कि रिसर्च मेरा पर्सनल इंट्रस्ट था। मैंने यह कभी नहीं सोचा था कि मुझे सीलिंग फैन ही बनाना है, लेकिन यह जरूर सोचा था कि दूसरों को जॉब देना और इलेक्ट्रिसिटी के इश्यू को सॉल्व करना है। यदि यह स्टार्टअप भी सफल नहीं होता, तो प्लान बी के तौर पर मैं रिसर्च फील्ड में ही कुछ करता। मुझे प्रोडक्ट बनाने में नौ महीने लगे। मेरे स्टार्टअप में तीन साल का स्ट्रगल काफी काम आया। लर्निंग के तौर पर मैं अपनी जर्नी को देखूं तो कह सकता हूं कि एंटरप्रेन्योर्स को पेशेंस कभी लूज नहीं करना चाहिए। स्ट्रगल को लर्निंग की तरह लें और फाइनेंशियल इश्यूज से निपटने के लिए ***** स्ट्रैपिंग करें, तो सफल जरूर होंगे। लाइफ में एक्सपेरिमेंट और फेल होना भी जरूरी है।
मैंने एक बड़ी डेयरी कम्पनी के लिए व्हीकल ट्रैकिंग और टेम्प्रेचर मॉनिटर सिस्टम बनाया, लेकिन छह महीने तक ही चल पाया और फेल हो गया। इसके बाद दो और प्रोडक्ट बनाए और वे भी फेल हो गए। लेकिन मैंने पेशेंस नहीं खोया। यह फेज एक साल तक रहा, लेकिन कॉन्फिडेंस था कि तीन साल में जो सीखा है, उससे कुछ न कुछ कर ही लूंगा। फिर मैंने इलेक्ट्रिकल फील्ड का स्टार्टअप शुरू किया। मैंने होम अप्लायंस के मार्केट को स्टडी किया तो पता चला कि इंडिया में हर साल 5 से 6 करोड़ पंखे हर साल बनते हैं, लेकिन ये एनर्जी एफिशियेंट नहीं होते। यह मार्केट काफी बड़ा था। ऐसे में मैंने इन्हें एनर्जी एफिशियेंट बनाने के लिए प्रोटोटाइप बनाया। जिसके काफी अच्छे नतीजे आए। एक पंखे की इलेक्ट्रीसिटी में तीन पंखे चले। इसके बाद प्रोडक्ट ‘गोरिल्ला फैन’ की लॉन्चिंग की और पहले ही दिन से सक्सेस मिलने लगी। तीन साल में इसे 2 मिलियन अमरीकन डॉलर की फंडिंग मिल चुकी है। 215 एम्प्लॉई काम कर रहे हैं और जल्द ही 50 करोड़ का टर्नओवर कम्प्लीट करने वाले हैं।