scriptगांव की लड़की को पति ने सिखाया मार्शल आर्ट, खली ने दी ट्रेनिंग, फिर बना दिया इतिहास | Kavita Devi success story Biography in hindi | Patrika News
मैनेजमेंट मंत्र

गांव की लड़की को पति ने सिखाया मार्शल आर्ट, खली ने दी ट्रेनिंग, फिर बना दिया इतिहास

कुछ बनकर दिखाने की ठानी तो हर बाधा पार कर समाज की दोयम सोच को कविता देवी ने आइना दिखाया। इसी हिम्मत ने उन्हें कविता दलाल से WWE की पहली भारतीय महिला पहलवान कविता देवी बना दिया।

Jan 14, 2019 / 02:47 pm

सुनील शर्मा

success mantra,Management Mantra,motivational story,career tips in hindi,inspirational story in hindi,motivational story in hindi,business tips in hindi,kavita devi biography in hindi,kavita devi success story,kavita devi story,

success mantra,Management Mantra,motivational story,career tips in hindi,inspirational story in hindi,motivational story in hindi,business tips in hindi,kavita devi biography in hindi,kavita devi success story,kavita devi story,

कन्या भ्रूण हत्या को लेकर फजीहत कराने वाले हरियाणा की बेटियों ने दुनिया में देश का नाम किया है। यहीं के मालवा गांव में मैं पैदा हुई। वेट लिफ्टर बनने के लिए जिम में कदम रखा तो समाज की पुरानी सोच ने मुझे आड़े हाथ लिया। वह सोच जिसमें लड़कियां चूल्हे-चौके में अच्छी लगती हैं। बेटी पर पैसा क्यों बर्बाद करना, क्या कमा देगी? शादी करो, जैसे दबाव खानदानवालों की तरफ से भी परिवार पर थे। मगर मैंने ठाना था, इस सोच को बदलना है।
हर पुरुष एक जैसी सोच वाला नहीं होता
पुरुषवादी सोच के बीच मेरे बड़े भाई संजय मुझे मंजिल तक पहुंचाने में लगे थे। मैं पांच भाई-बहनों में चौथे नंबर पर हूं। 2002 में बीए फर्स्ट ईयर के दौरान वेट लिफ्टिंग की ट्रेनिंग लेने लगी। कोच बलवरी सिंह बल्ली से सात से आठ महीने ट्रेनिंग ली, उनका देहांत हो गया। मैं ट्राइआउट (परीक्षण) के लिए बरेली गई। फिर 2004 में लखनऊ में रहते हुए मैंने कई नेशनल गोल्ड मेडल जीते। 2008 में स्पोर्ट्स कोटे से सशस्त्र सीमा बल में कांस्टेबल की नौकरी मिल गई।
मेहनत रंग लाई
पति की सलाह पर नौकरी छोड़ वुशु (चाइनीज मार्शल आर्ट) की ट्रेनिंग ली। रोहतक में मेरे भाई ने विशेष कोच से मुझे कुछ महीने इसकी ट्रेनिंग दिलाई। लगातार दो वर्ष सीनियर नेशनल चैंपियनशिप व गेम्स में वुशु चैंपियन बनी।
विदेशों में बजाया डंका
एक बार अकादमी में डब्लूडब्लूई की टीम आई। उन्होंने मेरा कार्डियो चैक किया और दुबई में होने वाले ट्राइआउट का न्यौता दिया। मैं कामयाब हुई और उनके साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन कर ऐसा करने वाली देश की पहली महिला बनी। मैंने वहां तीन बड़ी ‘मी यंग क्लासिक चैंपियनशिप’ और 2018 में रेसलमेनिया में देश का नेतृत्व किया। अब लक्ष्य डब्ल्यूडब्ल्यूई चैंपियन बनना है।
शुक्रिया विरोधियों!
मैदान और साधन नहीं मिले तो कपड़ों के बैग के साथ प्रैक्टिस की। शुक्रिया, क्योंकि विरोधी न होते तो कामयाबी की इतनी जिद न होती। नकारात्मकता ने मुझे जीतने और लडऩे का हौसला दिया। आज गांव के लोग अपनी बेटियों को कविता बनाना चाहते हैं। मेरे गांव में सैकड़ों लड़कियां मैदान की तरफ जाती दिखेंगी। सपना साकार हो रहा है।
सुनहरा मौका
पहली बार है जब WWE इस साल मार्च में खुद ट्राइआउट लेने मुंबई आ रहा है। खिलाड़ी ट्राइआउट के लिए न जाने कहां-कहां भटकते है। हमने रोहतक में एक अकादमी खोली है।
जब चुनौती स्वीकार भीड़ में से उठाया हाथ
मुंझे नौकरी नहीं मिल रही थी, तो घर-परिवार संभालने का फैसला लिया। इतना लंबा सफर तय करने के बाद इस तरह सब कुछ छोड़ घर बैठ जाना पति और भाई को ठीक नहीं लग रहा था। जिस मुकाम को हासिल करने की जिद थी, वह अभी नहीं मिला था। इसलिए मैंने दोबारा उठने का फैसला किया। जालंधर में स्थित महाबली खली की अकादमी में मैं अपने परिवार के साथ एक शो देखने गई। रिंग में एक महिला रेस्लर चुनौती दे रही थी, कोई है, जो मुझसे टकरा सके। मैंने भीड़ के बीच से अपना हाथ खड़ा कर दिया और सलवार-सूट में ही रिंग में उतर गई। मैंने देसी तरीके से उसे पटक दिया। यहां से एक नई शुरुआत हुई। खली ने मौका दिया और मैं वहां ट्रेनिंग लेने लगी।
कॅरियर और शादीशुदा जिंदगी में संतुलन
सामाजिक और शारीरिक दोनों परेशानियां झेलीं। बच्चे के जन्म के बाद स्त्री शारीरिक कमजोरी महसूस करती है। मगर मैंने बच्चे के जन्म के एक साल बाद ही प्रैक्टिस शुरू कर दी थी। बच्चे को ननद की देखरेख में छोड़ ट्रेनिंग पर जाती थी। कई बार चुपके से रो भी लेती थी। मगर जो सपने देखे हैं वे पूरे करने थे। परिवार का संघर्ष सार्थक करना है। इसमें आने वाली लड़कियों के लिए रास्ता बनाना है। 2014 से 2016 तक लगातार तीन साल नेशनल चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक, 2015 में नेशनल व 2016 में साउथ एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीता। मैं नौकरी ढूंढ रही थी। मगर अफसोस कि देश को इतने स्वर्ण दिलाने के बाद भी मुझे नौकरी नहीं मिल रही थी।

Hindi News / Education News / Management Mantra / गांव की लड़की को पति ने सिखाया मार्शल आर्ट, खली ने दी ट्रेनिंग, फिर बना दिया इतिहास

ट्रेंडिंग वीडियो