स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के मुताबिक जो लोग मल्टीटास्किंग करते हैं, काम पर पूरा ध्यान नहीं देते और तेजी से काम करने के आदी होते हैं, वे ज्यादा प्रोडक्टिव नहीं हो पाते हैं। इस तरह की आदतों से काम में बार-बार व्यवधान आता है। इसके बजाय यदि आप कोई काम करते समय किसी अन्य काम पर ध्यान नहीं देते हैं तो वह काम बेहतर तरीके से पूरा होता है। एक बार में एक काम करने से आप फोकस्ड रह पाते हैं। इसलिए आपको एक समय में एक ही काम पूरा करना चाहिए।
प्रोडक्टिविटी के लिए माना जाता है कि आप कम समय में ज्यादा काम करें। सैद्धांतिक रूप से इससे आपको जीवन जीने के लिए ज्यादा समय मिल पाता है। व्यावहारिक रूप से इसका अर्थ ज्यादा काम होता है। बचे हुए समय को अपने लिए इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। जब आप खुद को समय देते हैं तो आप खुश रह पाते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ वारविक का अध्ययन बताता है कि खुश रहने वाले कर्मचारी 12 फीसदी ज्यादा प्रोडक्टिव होते हैं। इसलिए अपने लिए समय बचाकर रखें।
कई बार आप कड़ी मेहनत करते हैं, पर किसी काम में मास्टरी हासिल नहीं कर पाते हैं तो काम को पूरा करने में परेशानी आती है। काम में मास्टरी हासिल करने से कठिन से कठिन काम को भी आसानी से पूरा कर पाते हैं। आपको काम से जुड़े नए-नए अनुभव भी प्राप्त करने चाहिए। इन अनुभवों के कारण काम के दौरान हड़बड़ाहट नहीं होती है और आपकी प्रोडक्टिविटी बढ़ती है।
अगर कोई तरीका टाइप-ए पर्सनेलिटी पर फिट बैठता है तो जरूरी नहीं है कि वह आप पर भी फिट बैठे। खुद को समझना चाहिए और उसी हिसाब से तरीकों का निर्माण करना चाहिए। हो सकता है कि आपको लोगों से मिलना-जुलना और सोना ज्यादा पसंद हो। ऐसे में प्रोडक्टिविटी के लिए अन्य तरीकों के बारे में विचार करना चाहिए। पता करें कि कैसे खुद को प्रोडक्टिव बना सकते हैं।
अगर आप सबसे जरूरी कार्यों को छोटे-छोटे कामों में तोड़ लेते हैं तो काम आसानी से पूरे हो जाते हैं। अपनी काम की लिस्ट में मौजूद सबसे कठिन काम को सबसे पहले पूरा कर लेते हैं तो आपको यकीन हो जाता है कि अब पूरा दिन आराम से गुजार सकते हैं और किसी तरह की परेशानी भी नहीं होगी। कठिन काम को भी टुकड़ों में तोडक़र पूरा कर लेना चाहिए।