उन्होंने यह विमान पूर्व छात्र होने के नाते इसे मेयो कॉलेज को उपहार में दिया है। सेंट्रल ग्राउंड में आयोजित समारोह में एडमिरल लाम्बा ने कहा कि विद्यार्थी और युवा देश का भविष्य हैं। इनके बूते भारत विकसित राष्ट्र बन सकता है। जीवन में कई विफलताएं और विषमताएं आती हैं। हमें इनसे घबराने-भागने कीबजाय उनमें सकारात्मक सूत्र तलाशने चाहिए। कॉलेज के निदेशक एस. एच. कुलकर्णी ने कहा कि भारतीय जल, थल और वायु सेना के शौर्य, साहस और पराक्रम के लिए दुनिया में अलग पहचान है।
शिक्षकों ने पहुंचाया शिखर पर
एडमिरल लाम्बा ने कहा कि मेयो कॉलेज में बिताए पल और यहां की शिक्षा-दीक्षा का हमेशा ऋणी रहूंगा। उस दौर के शिक्षकों की सीख, अनुशासन और संस्कारों ने ही शिखर तक पहुंचाया है। मैं मेयो के मौजूदा विद्यार्थियों से भी यही उम्मीद करूंगा। जीवन में माता-पिता और गुरुओं के बताए मार्ग और ज्ञान से ही सफलता पाई जा सकती है।
सी-हैरियर एयरक्राफ्ट
ब्रिटेन में निर्मित सी-हैरियर एयरक्राफ्ट भारतीय समुद्री बेड़े में वर्ष 1983 में शामिल किए गए थे। यह विमानवाही पोत आईएनएस विक्रांत और विराट पर तैनात थे। सी-हैरियर भारतीय समुद्री सीमाओं की रक्षा में अहम भूमिका निभा रहे थे। वक्त के साथ बदलती तकनीक और कंपनी के कल-पुर्जों की अनुलपब्धता के चलते सी-हैरियर को धीरे-धीरे नौसेना से हटा दिया गया। इनकी जगह अब नौसेना में मिग-29 विमान तैनात किए गए हैं।
सेना की स्थिति मजबूत
लाम्बा ने कहा कि भारतीय सेना अपनी सीमाओं की रक्षा में सक्षम है। जल से थल और नभ तक सेना की स्थिति मजबूत है। मैंने भी आईएनएस विराट पर सी-हैरियर को सेवाएं दी हैं। युवाओं को सेना की जरूरत है। इसमें शानदार कॅरियर बना सकते हैं। सी-हैरियर एयरक्राफ्ट को फिलहाल आमजन नहीं देख सकेंगे। इसे मेयो कॉलेज परिसर में विशेष प्लेटफार्म बनाकर रखा गया है। आमजन को देखने की इजाजत के बारे में मेयो गवर्निंग कौंसिल ही फैसला ले सकती है।