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लुधियाना

भारत-पाक सीमा पर 15 कि.मी. पैदल चले बीएसएफ महानिदेशक, फिर हो रहा ये काम

तस्करी और घुसपैठ रोकने के लिए सीमा सुरक्षा बल ने कमर कसी
अमृतसर फिरोजपुर से लेकर पठानकोट तक किया जा रहा काम

लुधियानाJun 12, 2020 / 05:12 pm

Bhanu Pratap

India-Pakistan border

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अमृतसर/गुरदासपुर । पाकिस्तान की ओर से बार-बार हो रही तस्करी और घुसपैठ रोकने के लिए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने कमर कस ली है। सीमा पार से घुसपैठ रोकने के लिए बीएसएफ ने फिरोजपुर से लेकर पठानकोट तक की सीमा को अति आधुनिक सुरक्षा उपकरणों से लैस करने शुरू कर दिया था जो कि अब कुछ चरणों में पूरा हो चुका है। थोड़ा काम अभी बाकी है।
महानिदेशक ने 16 कि.मी. पैदल दौरा किया

कुछ दिन पहले बीएसएफ के डायरेक्टर जनरल एसएस जायसवाल भारत-पाक सीमा से सटे इलाकों का जायजा लेने आए थे, तब उन्होंने बीएसएफ के आईडी महिपाल यादव और डीआईजी भूपिंदर सिंह के साथ रामकोट से लेकर ज्वाइंट चेक पोस्ट अटारी तक 15 किलोमीटर पैदल सफर तय किया था। वहीं, उन्होंने रावी दरिया के साथ लगते इलाकों का भी दौरा कर सुरक्षा प्रबंध जांचे थे। उस समय उन्होंने कहा था बीएसएफ के जवान हर स्थिति से निपटने में समक्ष हैं। बारिश हो या तूफान, सर्दी हो या गर्मी, हर सूरत में सीमा की सुरक्षा के लिए जवान डटे रहते हैं। आधुनिकता की कमी के कारण तस्कर घुसपैठ करने में सफल हो जाते हैं।
35 स्थानों पर लेजर उपकरण

भारत पाक सुरक्षा के नजरिए से बात करते हुए महिपाल यादव, आईजी, बीएसएफ, पंजाब ने बताया कि बारिश के दिनों में यह ज्यादा मुश्किल हो जाता है। इससे अधिकारियों की जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है। उन्हें खुद गश्त का नेतृत्व करना होता है। बाढ़ और बारिश के दिनों में अत्याधुनिक तकनीक की मदद से सीमाओं की निगरानी की जा सकती है, जिससे घुसपैठ और स्मगलिंग दोनों रुक सकती हैं। उसके बाद से बीएसएफ ने दरिया रावी के इलाके को आधुनिक सुरक्षा उपकरणों से लैस करवाना शुरू कर दिया। अब तक दरिया किनारे भारत-पाक सीमा से लगते इलाकों में चिन्हित 35 जगहों पर लेजर उपकरण लगाए जा रहे हैं। यह एक चरण का काम है जो लगभग मुकम्मल हो चुका है। जिससे इस बार संभावित बाढ़ की सूरत में भी घुसपैठ बीएसएफ के लिए चुनौती नहीं बनेगी।
बारिश में नहीं हो पाएगी घुसपैठ

सुरक्षा की दृष्टि से पहले स्तर पर दरिया के रास्तों पर सुरक्षा प्रबंधों को मजबूत बनाने को लेकर गृह मंत्रालय से मंजूरी के बाद बीएसएफ के उच्च अधिकारियों ने अमृतसर सेक्टर के रावी दरिया से लगते इलाकों में यह जरूरी कदम उठाना उचित समझा। उन्होंने बताया कि अब तक सतलुज दरिया से लगते सीमा से जुड़े इलाकों में लेजर उपकरण लग चुके हैं, जिससे घुसपैठ पर नजर रखने में सफलता मिली है। इस सफल प्रयोग के बाद अब पठानकोट से आ रहे रावी दरिया की ओर पर इसका काम मुकम्मल हो चुका है, क्योंकि बारिश और बाढ़ के दिनों में रावी दरिया से घुसपैठ और तस्करी की घटनाएं बढ़ जाती हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। लेजर उपकरण लगाने वाली टीम अपना काम लगभग पूरा कर चुकी है। सीमा पार से घुसपैठ कर इधर आने वाले आतंकियों के लिए अमृतसर, पठानकोट व गुरदासपुर फिलहाल सबसे सुरक्षित जगह है। रावी दरिया हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों से निकल कर पठानकोट, गुरदासपुर के रास्ते अमृतसर सीमा से होते हुए पाकिस्तान के दरिया चिनाब में मिलता है।

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