प्रेरणा ऐप पर टीन टाइम सेल्फी बेसिक शिक्षकों को प्रेरणा ऐप (Prerna App) पर स्कूल से तीन टाइम सेल्फी खींचकर अपडेट करनी है। बच्चों के साथ, स्कूल की बिल्डिंग के सामने, छुट्टी के समय लाइन लगाकर निकलते बच्चों की फोटो खींचनी है। बच्चों की और खुद की अटेंडेंस लगानी है और छुट्टी चाहिए तो भी इसी प्रेरणा ऐप (Prerna App) से अप्लाई करना है। हालांकि शिक्षक इस ऐप में सुरक्षा (Prerna App Security) की दृष्टि से तमाम खामियां गिना रहे हैं, जिस वजह से यूपी के टीचर इसे इस्तेमाल करने से बच रहे हैं। उनके मुताबिक यूपी सरकार ऐप को वापिस ले या सुरक्षा की दृष्टि से उठ रहे प्रश्नों का निराकरण करें। ऐप की सुरक्षा पर सवाल उठे तो यूपी सरकार ने भी इस ऐप की सुरक्षा एनालिसिस करवाने की कोशिश की। उत्तर प्रदेश डेवलपमेंट सिस्टम कारपोरेशन लिमिटेड यानी UPDESCO को ये जिम्मेदारी दी गयी। प्रेरणा ऐप की जो समस्याएं शिक्षक गिना रहे हैं उनमें पांच प्रमुख इस प्रकार हैं।
गूगल प्ले स्टोर से ऐप होगा इंस्टाल बेसिक शिक्षकों को गूगल प्ले स्टोर (Google Play Store Prerna App) से प्रेरणा ऐप इंस्टाल (Prerna App Install) करना है। हालांकि लॉन्चिंग के पहले गूगल के प्ले स्टोर पर इस ऐप की रेटिंग 1 स्टार थी और लॉन्चिंग के बाद अभी भी 2 स्टार (Prerna App Rating) तक सीमित है।
जुगाड़ में लगे शिक्षक प्रेरणा ऐप लांच (Prerna App Launch) होते ही शिक्षक इसके जुगाड़ में लग गए हैं और जुगाड़ भी ऐसे कि शायद सरकार ने इस तरफ सोचा भी नहीं होगा। शिक्षकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वह इस ऐप से बचने के लिए अपना स्मार्टफोन (Smart Phone) लेकर स्कूल नहीं जा रहे हैं। सस्ता कीपैड फोन इस्तेमाल करने लगे हैं। इससे वह ऐप को इंस्टाल करने या इसके इस्तेमाल करने से बच जा रहे हैं। ऐसे में जब अधिकारी शिक्षकों से पूछ रहे हैं कि ऐप कहां है। तो वह कहते हैं कि उनके पास स्मार्टफोन (Smartphone) नहीं है। शिक्षक कह रहे हैं कि से विभाग से जुड़ी तमाम समस्याएं हैं। वह समस्याएं दूर नहीं की जा रही हैं। दूसरी खामियों को दूर नहीं किया जा रहा है, बल्कि शिक्षकों की समस्याओं को और बढ़ाया जा रहा है। शिक्षकों ने कहा है कि केवल शिक्षा के क्षेत्र में ही ऐसी व्यवस्था को क्यों लागू किया जा रहा है। अन्य विभागों के लिए भी इसे शुरू किया जाना चाहिए।
पहली परेशानी शिक्षकों का कहना है कि फोन में नेटवर्क नहीं है, तो भी ये ऐप जीपीएस लोकेशन (Prerna App GPS Location) पकड़ेगा। इस जीपीएस लोकेशन को टैग करके शिक्षकों की जगह पता चलेगी। लेकिन मुद्दा ये है कि टीचर हर समय स्कूल में तो होते हैं नहीं। स्कूल के समय के अलावा और भी कई जगहों पर होते हैं, हो सकते हैं। लेकिन ये ऐप उस समय भी शिक्षकों की लोकेशन टैग करता रह्रेगा। शिक्षक कह रहे हैं कि ये उनकी सुरक्षा का मुद्दा है।
दूसरी परेशानी शिकायत कर रहे शिक्षकों का कहना है कि फोन रखने वाले शिक्षकों ने किसको फोन किया और किसका फोन रिसीव किया, इस सब की जानकारी भी प्रेरणा ऐप (Prerna App) जुटा रहा है। जबकि प्रेरणा ऐप का कॉल से कोई लेना-देना नहीं है। फिर भी ये कॉल से जुडी जानकारियां क्यों जुटा रहा है।
तीसरी परेशानी गूगल (Google) पर आपने क्या सर्च किया? क्या डाउनलोड (Prerna App Download) किया? ये सारी जानकारी भी ऐप जुटाएगा। मतलब क्या खोज रहे हैं, इस बारे में भी ऐप को पता लग जाएगा। शिक्षकों का कहना है कि यह पूरी तरह से उनकी स्वतंत्रता अधिकार और संविधान में उल्लिखित मूल अधिकारों का हनन है और निजता पर कुठाराघात है।
चौथी परेशानी शिकायत करने वालों ने कहा है कि प्रेरणा ऐप (Prerna App) को डेवलप करने वाली, मतलब ऐप को बनाने वाली कंपनी का फोन, ईमेल एड्रेस या कोई भी संपर्क सूत्र नहीं दिया गया है। ऐप ही नहीं प्रेरणा की वेबसाइट पर भी किसी प्रकार का पता या फोन नंबर नहीं दर्ज है।
पांचवीं परेशानी शिक्षकों के मुताबिक जैस ही प्रेरणा ऐप इंस्टाल (Prerna App Install) करेंगे, मोबाइल फोन का सीरियल नंबर, मॉडल नंबर, ब्रांड, ऑपरेटिंग सिस्टम, सिमकार्ड का नंबर, ईमेल आईडी सब ले लिया जाएगा और सबसे जरूरी बात, इन सबके लिए फोन यूजर की अनुमति लेने की जरुरत भी नहीं होगी।
ऐप नहीं लिया जाएगा वापस प्रेरणा ऐप (Prerna App) के विरोध पर बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. सतीश चंद्र द्विवेदी (UP Minister Satish Chandra Dwivedi) ने कहा है कि ऐप को वापिस नहीं लिया जाएगा। बच्चों को अपने टीचरों का नाम नहीं पता है। टीचरों को यूपी सरकार 50 हजार रुपए तनख्वाह इसलिए नहीं देती कि वह दिल्ली में किराए का कमरा लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करें। अभी प्रेरणा ऐप (Prerna App) को स्कूली शिक्षकों की अटेंडेंस के लिए अनिवार्य नहीं किया गया है, लेकिन इतनी अनिवार्यता जरूरी है कि अगर शिक्षकों को छुट्टी चाहिए, तो उन्हें प्रेरणा ऐप से ही छुट्टी के लिए आवेदन करना होगा।