चिकित्सा प्रतिपूर्ति और गोल्डन कार्ड योजना
चिकित्सा प्रतिपूर्ति की मांग को लेकर इनमें से कई ने पूर्व में योजना छोड़ दी थी। जबकि कई लोग विकल्प न भर पाने की वजह से योजना से बाहर रह गए हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि ऐसे कई पेंशनर्स ने योजना में फिर से शामिल होने की इच्छा जताई है। इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग पेंशनर्स को योजना में शामिल होने का एक मौका देने पर विचार कर रहा है। हाल ही में इस संदर्भ में अधिकारियों की एक बैठक भी हुई है।
चिकित्सा प्रतिपूर्ति में देरी का समाधान
पेंशनर्स के एक बार योजना छोड़ने के बाद दोबारा योजना में शामिल होने के पीछे सबसे बड़ी वजह यह बताई जा रही है कि उनके चिकित्सा प्रतिपूर्ति के बिल भुगतान में देरी हो रही है। कई लोगों के बिल महीनों से भुगतान के लिए विभागों में लटके हुए हैं। इसका कारण यह है कि कुछ समय पहले ही प्रतिपूर्ति के बिलों के भुगतान को लेकर व्यवस्था बनी है। जबकि गोल्डन कार्ड योजना से जुड़ने का फायदा यह है कि अस्पतालों में भर्ती होने पर पेंशनर्स को अपना खर्च नहीं करना पड़ता। ऐसे में अब पेंशनर्स प्रतिपूर्ति की बजाए गोल्डन कार्ड योजना में ही शामिल होना चाहते हैं।
आवेदन के बाद मिलेगी गोल्डन कार्ड में एंट्री
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि यदि कोई पेंशनर योजना में शामिल होने के लिए आवेदन करता है तो निश्चित रूप से उन्हें योजना में शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास है कि राज्य के हर नागरिक, कर्मचारी और पेंशनर्स को आयुष्मान व गोल्डन कार्ड योजना का लाभ दिया जाए। उन्होंने कहा कि पेंशनर्स ने अपनी मर्जी से योजना छोड़ी है। ऐसे में उन्हें आवेदन के बाद ही दोबारा योजना में शामिल किया जाएगा।