वहीं विपक्ष के साथ-साथ अपनों ने भी
योगी सरकार को निशाने पर ले लिया है। इस मामले में भाजपा के सहयोगी दल अपना दल (सोनेलाल) की अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल शिक्षक भर्ती की मेरिट लिस्ट पर पहले से ही सवाल उठाती रही हैं। वहीं हाई कोर्ट के फैसले के बाद उन्होंने कहा कि खुद पिछड़ा वर्ग आयोग ने भी माना था कि भर्ती में आरक्षण नियमों की अनदेखी हुई है।
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बयान से सियासी गलियारे में मची हलचल
इसके अलावा योगी सरकार में
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने भी हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया। इसके साथ ही उन्होंने ट्वीट कर सियासी गलियारे में खलबली मचा दी है। डिप्टी सीएम के ट्वीट को विपक्ष भुनाने की कोशिश में लगा है। सियासी गलियारों मे चर्चा है कि साल 2019 में 69 हजार शिक्षकों की भर्ती की गई थी।
भर्ती परीक्षा के बाद एक जून 2020 को मेरिट सूची जारी की गई। इस दौरान भाजपा सरकार में शामिल डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य मौन रहे। हालांकि शिक्षकों ने इस सूची को कोर्ट में चुनौती दे दी। अब हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के ट्वीट से योगी सरकार के खिलाफ माना जा रहा है।
अनुप्रिया पटेल ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले का किया स्वागत
अनुप्रिया पटेल ने X पर पोस्ट करते हुए लिखा, “69000 शिक्षक भर्ती मामले में माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत है। खुद पिछड़ा वर्ग आयोग ने माना था कि इस भर्ती मामले में आरक्षण नियमों की अनदेखी हुई। अब जबकि माननीय उच्च न्यायालय ने आरक्षण नियमों का पूर्ण पालन करते हुए नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया है, तब उम्मीद करती हूं कि वंचित वर्ग के प्रति न्याय होगा। जो माननीय उच्च न्यायालय ने कहा है, मैंने भी हमेशा वही कहा है।” अनुप्रिया पटेल ने कहा, “मैंने इस विषय को हमेशा सदन से लेकर सर्वोच्च स्तर पर उठाया है। जब तक इस प्रकरण में वंचित वर्ग को न्याय नहीं मिल जाता मैं इस विषय को तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिए लगातार हर संभव प्रयास करती रहूंगी।”
डिप्टी सीएम केशव बोले-हाईकोर्ट का फैसला स्वागत योग्य कदम
दूसरी ओर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने भी X पर पोस्ट करते हुए लिखा, “शिक्षकों की भर्ती में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फ़ैसला सामाजिक न्याय की दिशा में स्वागत योग्य कदम है। यह उन पिछड़ा व दलित वर्ग के पात्रों की जीत है जिन्होंने अपने अधिकार के लिए लंबा संघर्ष किया। उनका मैं तहेदिल से स्वागत करता हूं।” दरअसल, 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी सरकार को आदेश दिया है कि वह 3 महीने के अंदर नई मेरिट लिस्ट जारी करे। हाई कोर्ट ने यह भी कहा है कि नई मेरिट लिस्ट में बेसिक शिक्षा नियमावली और आरक्षण नियमावली का पूरा पालन होना चाहिए। हाईकोर्ट के फैसले का विपक्ष के साथ ही सत्ता पक्ष के लोगों ने भी स्वागत किया है। वहीं सपा नेता
अखिलेश यादव ने तो नई सूची में किसी के साथ अन्याय नहीं होने देने की बात कही है।